कुटकी के फायदे और नुकसान, साथ ही जानें इसके सेवन के तरीके
Share
कुटकी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसके बारे में शायद ही लोग जानते होंगे। आयुर्वेद में कुटकी के बारे में विस्तार से बताया गया है। प्राचीन समय से आयुर्वेद में कुटकी का कई रोगों जैसे बुखार, टीबी, डायबिटीज, टाइफाइड, सांस की तकलीफ, मोटापा आदि के इलाज में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह एक दुर्लभ औषधि है जो पहाड़ों में पाई जाती है। इसमें मौजूद औषधीय गुण सीज़नल बीमारियों से शरीर को सुरक्षित रखते हैं। आज इस लेख में हम कुटकी के फायदे और नुकसान और कुटकी का सेवन कैसे करें? इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
आइए पहले जानते हैं कि कुटकी क्या होती है? कुटकी का लैटिन नाम 'पिक्रोराइजा कुर्रोआ' है। कुटकी पचने में हल्की, पित्त और कफ की परेशानी को ठीक करने वाली, भूख बढ़ाने वाली, एक गुणकारी जड़ी-बूटी है। कुटकी का स्वाद कड़वा और तीखा होता है इसलिए इसे कटुम्भरा भी कहा जाता है। इसका पौधा हिमालय के पहाड़ों में पाया जाता है। आयुर्वेद में चिकित्सक उपचार के लिए इसकी जड़ और प्रकंद का इस्तेमाल किया जाता है। कुटकी की पहचान इसके पौधों से की जा सकती है। इसका पौधा 6 से 10-12 इंच तक लंबा होता है। इसके पत्ते चिकने और किनारे से झालर की तरह कटावदार होते हैं। इसके फूल नीले या सफेद रंग के होते हैं। यह पौधा विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है।
कुटकी के फायदे - Kutki ke Fayde
आइए कुटकी जैसी गुणकारी औषधि के फायदों और कुटकी का प्रयोग कैसे करें? इसके बारे में चर्चा करते हैं-
बुखार में फायदेमंद - बुखार होने पर हम अंग्रेजी एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुटकी ऐसी जड़ी-बूटी है जिसमें एंटीबायोटिक और एंटीपायरेटिक गुण मौजूद हैं। इसके ये गुण शरीर के तापमान को कम करके बुखार से और बुखार के कारण हुई परेशानियों जैसे सिर दर्द, भारीपन और आंतरिक जलन से भी आराम दिलाते हैं। कुटकी के औषधीय गुण हमें मौसमी बीमारियों से भी बचाते हैं। कुटकी के सेवन के लिए आप 1 ग्राम कुटकी पाउडर और 3 ग्राम चीनी को मिक्स कर लें और रोज दिन में एक या दो बार भोजन करने से 10 मिनट पहले इस मिश्रण का सेवन करें।
मधुमेह में लाभकारी - कुटकी में मधुमेह को नियंत्रित करने वाले औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह औषधीय गुण पाचन स्राव को उत्तेजित करते हैं जो बदले में अग्नाशय इंसुलिन स्राव को उत्तेजित करते हैं। यह ग्लाइकोजन के रूप में रक्त शर्करा के संचय में लीवर की सहायता करते हैं जिससे मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
वजन घटाने में सहायक - कुटकी चूर्ण के फायदे वजन घटाने में देखे जा सकते हैं। यह वजन घटाने में काफी सहायक होती है। कुटकी में मौजूद तत्व गैस्ट्रिक फंक्शन को उत्तेजित करते हैं जिससे डाइजेस्टिव फाइबर का उत्पादन बढ़ता है और अतिरिक्त फैट को कम करने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं कुटकी का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट होता है। यदि आप रोजाना सुबह खाली पेट कुटकी के पत्तों के अर्क का सेवन करें तो आपको वजन घटाने में मदद मिल सकती है।
लीवर के लिए उपयोगी - लीवर की समस्याओं से निजात पाने के लिए कुटकी काफी असरदार जड़ी-बूटी है। कुटकी का सेवन पित्त दोष को ठीक करने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। कुटकी में कुटकिन और पिक्रोलिव जैसे एंजाइम पाए जाते हैं जो लीवर की कार्य क्षमता को बेहतर बनाते हैं। कुटकी हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है जिससे कई बीमारियों से शरीर का बचाव करने में मदद मिलती है। कुटकी की जड़ के पाउडर को लीवर सिरोसिस के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। लीवर की समस्या में एक चम्मच कुटकी को शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार इस्तेमाल करना चाहिए।
त्वचा संबंधी समस्या में कारगर - अगर आप त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे फोड़े-फुंसी, घाव आदि से परेशान हैं तो कुटकी का उपयोग कर सकते हैं। कुटकी में मौजूद तत्व घाव भरने में मदद करते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है जो त्वचा संबंधित समस्याओं को ठीक कर सकता है। कुटकी का सेवन करने से जल्दी ही घाव खुजली और चकत्ते आदि की समस्या में आराम मिलता है। कुटकी सोरायसिस और विटिलिगो जैसे त्वचा संबंधी रोगों को ठीक करने में कारगर है।
कब्ज से दिलाए राहत - कुटकी का सेवन कब्ज के इलाज में किया जा सकता है। कब्ज से राहत पाने के लिए आप शहद के साथ मिलाकर दिन में लगभग छह बार कुटकी का सेवन करें। कुटकी अपच के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह गैस्ट्रिक रस का स्राव बढ़ाती है। भूख में सुधार करती है। पाचन तंत्र को मजबूत करती है।
सांस की तकलीफ में असरदार - बढ़ते प्रदूषण, धूल-मिट्टी व संक्रमण के कारण अस्थमा के रोगियों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में यदि कुटकी का इस्तेमाल किया जाए तो अस्थमा के रोगी को राहत मिलती है। कुटकी में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो कंजेक्शन से राहत दिलाते हैं। यह शरीर में हिस्टामिन के रिलीज को सीमित करते हैं जिससे अस्थमा के रोगियों को आराम मिलता है। कुटकी हमारी इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाती हैं और हमें कई तरह के संक्रमण से बचाती है।
गठिया में लाभदायक - कुटकी खाने के फायदे गठिया के दर्द से राहत दिलाने में भी देखे जा सकते हैं। गठिया के दर्द से राहत पाने के लिए आप कुटकी के साथ शहद मिलाकर सुबह-शाम इसका सेवन करें। इससे गठिया रोग ठीक हो जाता है।
सफ़ेद दागों को करे ठीक - सफ़ेद दागों के इलाज में भी कुटकी काफी मददगार है। कुटकी में एंटी ऑक्सीडेंट और इम्यूनोमोड्यूलेटरी का गुण पाया जाता है जो सफ़ेद दागों को बढ़ने से रोकता है। सफ़ेद दागों की समस्या में कुटकी, मंजिष्ठा, त्रिफला, बच, हल्दी, दारू, नीम की छाल और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएं और 40 दिनों तक इसका सेवन करें। इससे सफ़ेद दाग ठीक होना शुरू हो जाएंगे।
रक्त संबंधी रोगों में लाभकारी - यदि आप रक्त संबंधी रोगों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो कुटकी जैसी जड़ी-बूटी का सेवन शुरू करें क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार कुटकी में पित्तहर का गुण होता है जो कि रक्त से संबंधित रोगों को दूर करने में मदद करता है। कुटकी का सेवन मुलेठी के साथ किया जाए तो यह एंटीबैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण देती है जिससे रक्त दोष, बुखार, ह्रदय रोग आदि से मुक्ति मिलती है। रक्त विकारों से मुक्ति के लिए 10 ग्राम मुलेठी पाउडर और 10 ग्राम कुटकी पाउडर को मिक्स करें। इस मिश्रण की 500 मिलीग्राम या 1 ग्राम मात्रा को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर दिन में एक या दो बार लें। आप इसे शहद के साथ भी ले सकते हैं।
पीलिया रोग में फायदेमंद - आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटियों में कुटकी भी एक आवश्यक घटक की तरह उपयोग में आती है, जो पीलिया के इलाज के लिए तो बेहद ही फायदेमंद है। कुटकी के एक या दो चम्मच पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पीलिया के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।
टाइफाइड में उपयोगी - कुटकी के इस्तेमाल से आप टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहते हैं इसका इलाज कर सकते हैं। कुटकी के 10 से 20 मिली काढ़े का सेवन करने से टाइफाइड में होने वाले बुखार में लाभ मिलता है। कुटकी के 1 या 2 ग्राम चूर्ण को चीनी के साथ खाकर इसके बाद गुनगुना जल पीने से कफ पित्त के कारण होने वाले बुखार में भी फायदा होता है।
कुटकी के नुकसान - Kutki ke Nuksan
अनेकों फायदों के बावजूद कुटकी जैसी गुणकारी औषधि के कुछ नुकसान भी हैं। आइए इन पर एक नज़र डालते हैं-
यह जड़ी-बूटी प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय बनाती है। यदि आपको मल्टीपल स्केलेरोसिस या ल्यूपस जैसी बीमारी है तो इसका इस्तेमाल ना करें।
सर्जिकल ऑपरेशन कराने जा रहे हैं तो ऑपरेशन के पूरा होने के 2 सप्ताह बाद ही इसका सेवन करें।
कुटकी शरीर में रक्त में शर्करा के स्तर को कम करती है। मधुमेह रोगी को इसके सेवन के दौरान शर्करा के स्तर में परिवर्तन की जांच करते रहना चाहिए। यदि आप देख रहे हैं कि यह आपके स्तर को कम कर रही है तो इसके सेवन से बचने की कोशिश करें।
कुटकी को यदि सावधानीपूर्वक ना लिया जाए तो यह उल्टी, मतली और चकत्ते का कारण बन सकती है।
गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के इसके सेवन से बचना चाहिए।
इसका अधिक मात्रा मे सेवन करने से दस्त लगते हैं।
Namhya से खरीदें कुटकी पाउडर
यदि आप भी एलोपैथिक दवाओं, सिगरेट और शराब के कारण कमजोर हुए लीवर, गठिया की बीमारी में आई सूजन, तेज बुखार और त्वचा संबंधित समस्याओं से परेशान हैं तो आप Namhya कुटकी पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह कुटकी पाउडर पित्त की अधिकता को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है। इस जड़ी-बूटी की जड़ों के ज्वरनाशक गुण शरीर के तापमान को ठंडा करते हैं और तेज बुखार को कम कर सकते हैं। यदि आप भी इन तमाम शारीरिक समस्याओं से निजात पाना चाहते हैं तो जल्द से जल्द Namhya कुटकी पाउडर का इस्तेमाल करें। यह कुटकी पाउडर आप Namhya की वेबसाइट से ऑनलाइन उचित कीमत पर घर बैठे भी ऑर्डर कर सकते हैं। तो आज ही इसे ऑर्डर करें और एक स्वस्थ जीवन का आनंद लें।
Ridhima Arora is an Indian entrepreneur, author, trained yoga instructor, and practicing nutritionist. She is the founder of Namhya Foods.Besides being the founder of Namhya foods, Ridhima also gives nutrition coaching in seminars to kids, NGOs, and corporates. She also works as a freelancer at Global Changemakers.
Choosing a selection results in a full page refresh.