अर्जुन की छाल:फायदे और इस्तेमाल के तरीके

सदाबहार वृक्ष अर्जुन का सदियों से आयुर्वेद में औषधि के रूप में इस्तेमाल किया गया है। अर्जुन के पेड़ के तने की बाहरी परत को अर्जुन की छाल कहा जाता है। इस बाहरी परत को पेड़ से अलग कर औषधि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह छाल करीब 4 मिलीमीटर तक मोटी होती है और साल में एक बार अपने आप पेड़ से अलग होकर गिर जाती हैं। अर्जुन एक सदाबहार पेड़ है जो करीब 60 से 80 फीट तक ऊंचा होता है। इसकी पत्तियाँ अमरूद की पत्तियों की तरह होती है। यह पेड़ हिमालय की तराई और शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित नदी नालों के किनारे बहुत ज्यादा देखने को मिलता है।

 

अर्जुन पेड़ का 'अर्जुन' नाम केवल इसके स्वच्छ सफेद रंग के कारण पड़ा। 'अर्जुन' शब्द का संस्कृत में योगिक अर्थ सफेद स्वच्छ होता है। इसका वैज्ञानिक नाम "टर्मिनेलिया अर्जुना" है। अर्जुन की छाल में करीब 20-40% टैनिन पाया जाता है। छाल में बीटा-सिटोस्टिरोल, इलेजिक एसिड, अर्जुनिक एसिड आदि भी पाए जाते हैं। अर्जुन की छाल में पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्निशियम के तत्व भी पाए जाते हैं। इसकी छाल को उगने में कम से कम दो वर्ष लगते हैं। इसकी छाल को उतार लेने पर यह दोबारा जाती है।

 

अर्जुन की छाल बाहर से सफेद, अंदर से चिकनी, मोटी तथा हल्के गुलाबी रंग की होती है। कई बार इसकी छाल अपने आप निकल कर गिर जाती हैं। अर्जुन प्रकृति से शीतल है और हृदय के लिए हितकारी है। यह स्वाद में कसैली और तीखी होती है और गोदने पर इसके अंदर से एक प्रकार का दूध निकलता है। इससे छोटे-मोटे कटने छीलने पर, रक्त संबंधी रोग, मोटापा, मधुमेह, अल्सर, कफ तथा पित्त जैसी परेशानियां कम होती हैं।

 

अर्जुन से हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है, हृदय की पोषण क्रिया अच्छी होती है। मांसपेशियों को बल मिलने से हृदय की धड़कन ठीक और सबल होती हैं। सुक्ष्म रक्त वाहिनियों का संकोच होता है जिससे हृदय सशक्त और उत्तेजित होता है। इससे रक्त वाहिनियों के द्वारा होने वाले रक्त का स्त्राव भी कम होता है जिससे सूजन कम होती है।

 

अर्जुन जैसे सदाबहार बहुगुणी पेड़ की छाल का प्रयोग हृदय संबंधी बीमारियों और क्षयरोग यानि टीबी जैसी बीमारी के अलावा सामान्य कान दर्द, सूजन, बुखार के उपचार के लिए भी किया जाता है। अर्जुन के पेड़ की छाल कितनी गुणकारी जड़ी बूटी है यह तो समझ में आता है लेकिन यह और किन-किन बीमारियों में फायदेमंद है और इस अर्जुन की छाल के फायदे क्या हैं यह हम आगे इस लेख में पढ़ेंगे।

 

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अर्जुन की छाल फायदेमंद है अब यह जानते हैं:

 

  • उच्च रक्तचाप - अर्जुन की छाल उच्च रक्तचाप में काफी लाभदायक साबित होती है। दरअसल इसकी छाल कोलेस्ट्रॉल को कम करके लिपिड ट्राइग्लिसराइड का स्तर घटाती है। इसकी छाल का सेवन रक्त प्रवाह के अवरोध को भी दूर करता है। इसके लिए आपको एक चम्मच अर्जुन की छाल के पाउडर को दो गिलास पानी में आधा रह जाने तक उबालकर इस पानी को सुबह-शाम पीना है। ऐसा करने से बंद हुई धमनियाँ खुल जाएंगी और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम हो जाएगा।

 

  • मोटापा घटाएं - मोटापे से परेशान लोग अर्जुन की छाल का सेवन करके इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं। मोटापा घटाने के लिए उन्हें अर्जुन की छाल का काढ़ा सुबह-शाम पीना होगा। इसका सेवन मोटापे को इतनी तेजी से कम करता है कि एक महीने में ही इसका असर दिखने लगता है।

 

 

  • शुगर में फायदेमंद - शुगर के मरीज भी अर्जुन की छाल से अपनी परेशानी को खत्म कर सकते हैं। इसके लिए अर्जुन वृक्ष की छाल के चूर्ण को देसी जामुन के बीजों के चूर्ण की समान मात्रा के साथ मिलाकर सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लें। दूसरा तरीका है कि अर्जुन की छाल, कदंब की छाल, जामुन की छाल और अजवाइन की एक समान मात्रा पीसकर बारीक पाउडर बना लें। इस पाउडर में आधा लीटर पानी मिलाकर काढ़ा बनाएं और इस काढ़े का सेवन सुबह-शाम तीन हफ्तों तक लगातार करें, इससे शुगर में राहत मिलेगी।

 

 

  • मूत्राघात में लाभकारी - पेशाब करते समय दर्द या जलन होना मूत्राघात के मूल लक्षण होते हैं। अर्जुन की छाल से बना काढ़ा पीने से पेशाब की रुकावट दूर होती है। इसके लिए अर्जुन की छाल को पीसकर दो कप पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो इसे ठंडा होने के बाद रोगी को पिलाएं। दिन में एक बार पिलाने से यह पेशाब की रुकावट को दूर कर देती है।

 

 

  • सूजन की समस्या में इस्तेमाल - सूजन को कम करने में अर्जुन की छाल की सकारात्मक भूमिका है। इसके लिए अर्जुन की छाल का महीन पिसा चूर्ण 5 से 10 ग्राम मात्रा में क्षीरपाक विधि से खिलाने से हृदय रोग के साथ-साथ इससे पैदा होने वाली सूजन में भी कमी आती है। दूसरा तरीका, अर्जुन की जड़ की छाल का चूर्ण और गंगेरन की जड़ की छाल के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर दो ग्राम मात्रा को नियमित तौर पर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से दर्द तथा सूजन कम होती है।

 

 

  • मुंह के छालों में लाभदायक - मुंह के छालों से परेशान व्यक्ति भी अर्जुन की छाल का इस्तेमाल कर सकता है। इसके लिए नारियल के तेल में अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से आपकी परेशानी निश्चित रूप से कम होगी। यही नहीं, इसे गुड़ के साथ लेने से बुखार में भी आराम मिलता है।

 

 

  • पिंपल्स से दिलाए छुटकारा - आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में मुंहासे जैसी परेशानी से कौन परेशान नहीं है। लेकिन अर्जुन की छाल सिर्फ मुहांसों से छुटकारा दिलाने में मदद करेगी बल्कि चेहरे की कांति भी बढ़ाएगी। अर्जुन की छाल को शहद में मिलाकर मुंह पर लगाने से मुहांसों में फायदा मिलता है।

 

 

  • त्वचा में लाए निखार - त्वचा की कई परेशानियों को खत्म करने में अर्जुन की छाल असरदार होती है। अर्जुन की छाल, बादाम, हल्दी और कपूर की एक समान मात्रा को पीसकर उबटन बनाकर चेहरे पर लगाएं। ऐसा करने से चेहरे की सारी झुर्रियां चली जाती हैं और चेहरे में निखार आता है।

 

 

  • रक्तपित्त में लाभकारी - अगर आप रक्त पित्त (नाक कान से खून बहना) जैसी समस्या से परेशान हैं तो अर्जुन की छाल का सेवन करने से आपको जल्दी ही आराम मिलेगा। दो चम्मच अर्जुन की छाल को रात भर पानी में भिगोकर रखें। सवेरे उसको मसलकर छानकर या उसको उबालकर काढ़ा बनाकर अर्जुन की छाल की चाय की तरह पीने से भी रक्त पित्त में लाभ होता है।

 

 

  • क्षयरोग (टी.बी.) में गुणकारी - क्षय रोग या टी.बी. के लक्षण से आराम दिलाने में अर्जुन की छाल एक औषधि की तरह काम करती है। अर्जुन की छाल, नागबला तथा केवांच बीज चूर्ण (2-4 ग्राम) में शहद, घी तथा मिश्री मिलाकर दूध के साथ पीने से टी.बी. या खांसी जैसे रोगों से जल्दी राहत मिलती है।

 

  • बुखार में फायदेमंद - अगर बदलते मौसम की वजह से या किसी संक्रमण की वजह से बुखार आया है तो उससे भी अर्जुन की छाल राहत दिलाने में मददगार है। अर्जुन की छाल का काढ़ा या अर्जुन की छाल की चाय बनाकर 20 मिली. की मात्रा में पिलाने से बुखार में राहत मिलती है। दूसरा तरीका है, एक चम्मच अर्जुन की छाल के चूर्ण का गुड़ के साथ सेवन करने से बुखार में आराम मिलता है।

 

  • शुक्रमेह में लाभकारी - शुक्रमेह बीमारी पुरुषों में होने वाली बीमारी है। इस बीमारी में अत्यधिक मात्रा में सीमन निकल जाता है। अर्जुन की छाल के इस्तेमाल से इस बीमारी से निजात पा सकते हैं। अर्जुन की छाल या सफेद चंदन से बने 10-20 मिली काढ़े को नियमित सुबह शाम पिलाने से शुक्रमेह में लाभ होता है।

 

 

  • रक्तातिसार या पेचिश से दिलाए राहत - 5 ग्राम अर्जुन की छाल को 250 मिली. गाय के दूध और लगभग बराबर मात्रा में पानी डालकर धीमी आंच पर पकाएँ। जब दूध आधा रह जाए तब उतारकर, उसमें 10 ग्राम शक्कर मिलाकर, रोज सुबह पीने से हृदय संबंधी विकारों में राहत मिलती है। यह पेय जीर्ण ज्वरयुक्त रक्तज- अतिसार और रक्तपित्त में भी लाभदायक है।

 

 

  • पेट की गैस और एसिडिटी में कारगर - अर्जुन की छाल के फायदे एसिडिटी से राहत दिलाने में भी बहुत मददगार है। 10-20 मिली. अर्जुन की छाल के काढ़े का नियमित सेवन करने से उदावर्त्त या पेट की गैस ऊपर आती है और एसिडिटी से राहत मिलती है।

 

 

  • स्तन कैंसर के खतरे से है बचाती- यह पाया गया है कि अर्जुन के पेड़ में कसुआरिनिन नाम का रासायनिक घटक पाया जाता है जिसके कारण शरीर में कैंसर की कोशिकाएं फैल नहीं पाती हैं। खासकर स्तन कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में अर्जुन की छाल बड़े काम की है। यदि गर्म दूध में अर्जुन की छाल को बारीक पीसकर रोज सेवन किया जाए तो स्तन कैंसर से बचा जा सकता है।

 

 

  • पेट के अल्सर में असरदार - जिन लोगों को पेट के अल्सर की समस्या बार-बार होती रहती है। उनके लिए भी अर्जुन की छाल काफी लाभदायक हो सकती है। इसका कारण यह है कि अर्जुन की छाल में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव (पेट की अंदरूनी दीवार की सुरक्षा) और साइटोप्रोटेक्टिव (पेट के अल्सर से बचाव) का गुण मौजूद होता है। अर्जुन की छाल के यह दोनों गुण संयुक्त रूप से पेट के अल्सर में राहत दिलाने का काम करते हैं। इस बात की पुष्टि अर्जुन की छाल से संबंधित एक रिसर्च में मिलती है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि पेट के अल्सर का घरेलू उपचार करने में अर्जुन की छाल का इस्तेमाल कारगर हो सकता है।

 

 

  • पाचन संबंधी समस्या में लाभकारी - गर्मी के महीने में पाचन संबंधी परेशानियां ज्यादा होती हैं। इस मौसम में तला भुना और मसालेदार भोजन सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। आयुर्वेद के मुताबिक गर्मी का महीना पित्त का महीना होता है। पित्त रस अमाशय से आए भोजन के अम्लीय प्रभाव को कम करता है। वसा में घुलनशील विटामिन के अवशोषण में सहायक होता है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में वात पित्त का संतुलन बहुत जरूरी है। अर्जुन की छाल का सेवन करने से यह सिर्फ वात और पित्त को ठीक रखती है बल्कि कफ को कम करने में भी बेहद असरदार है।

 

  • कान दर्द में दिलाए आराम - कान में दर्द का होना एक सामान्य बैक्टीरियल इंफेक्शन को माना जाता है। इस इंफेक्शन के कारण कान में दर्द की समस्या देखी जा सकती है। इस समस्या से निपटने में अर्जुन की छाल का अर्क फायदेमंद साबित हो सकता है। यह बात एक रिसर्च में साबित हुई है। रिसर्च में माना गया है कि अर्जुन की छाल में एंटीमाइक्रोबियल गुण मौजूद होता है, इस गुण के कारण यह कान के इन्फेक्शन को दूर करने में मददगार साबित होती है।

 

  • बालों के लिए फायदेमंद - आज के दूषित वातावरण के कारण, सभी लोग बालों से संबंधित समस्याओं से परेशान हैं। ऐसे में अर्जुन की छाल का इस्तेमाल बालों से संबंधित सभी परेशानियों में फायदा कर सकता है। अर्जुन की छाल का इस्तेमाल हम बालों के विकास के लिए भी कर सकते हैं। बालों में अर्जुन की छाल को मेहंदी के साथ मिलाकर लगाने से सर के बाल सफेद से काले होने लगते हैं। इसके इस्तेमाल से बालों में चमक और मजबूती भी आती है।

 

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हृदय के लिए है लाभकारी

 

हृदय संबंधित अनेक विकारों जैसे कि अनियमित धड़कन और सूजन आदि को दूर करने में भी अर्जुन की छाल के फायदे सबसे ज्यादा है। यह स्ट्रोक के खतरे को भी कम करती हैं लेकिन इसके लिए इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे किया जाए:

 

  • अर्जुन की छाल को जंगली प्याज की समान मात्रा के साथ मिलाकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को रोजाना आधा चम्मच दूध के साथ हृदय के रोगी को देने से हृदय की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

 

  • यह ब्लॉकेज में भी फायदेमंद होती है। खाना खाने के बाद नियमित तौर पर सेवन करने से हृदय रोगियों को तमाम परेशानियों से मुक्ति मिल सकती हैं।

 

 

  • 6-10 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण में स्वाद अनुसार गुड़ मिलाकर 200 मिलीलीटर दूध के साथ पकाकर छानकर पिलाने से हृदय रोग का शमन होता है।

 

  • अर्जुन छाल के एक चम्मच मलाई रहित एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, ह्रदय को बल मिलता है और कमजोरी दूर होती है। इससे हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।

 

  • 50 ग्राम गेहूं के आटे को 20 ग्राम गाय के घी में भून लें। गुलाबी हो जाने पर 3 ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण और 40 ग्राम मिश्री में खोलता हुआ पानी डालकर पकाएं। हलवा तैयार हो जाने पर इसका सेवन करें। इसका रोज सेवन करने से हृदय की पीड़ा, घबराहट, धड़कन बढ़ जाना, आदि विकारों में लाभ होता है।

 

  • हृदय की धड़कन जब सामान्य से अधिक रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही लाभ होता है।

 

  • हृदय रोगों में अर्जुन की छाल के कपड़छन चूर्ण का प्रभाव इंजेक्शन से भी अधिक होता है। जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। इसे सार्बिट्रेट गोली की जगह इस्तेमाल करने पर उतना ही लाभकारी पाया गया। इस दवा का लाभ स्थायी होता है और यह दवा किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाती तथा एलोपैथिक की प्रसिद्ध दवा डिजिटेलिस से भी अधिक लाभप्रद है। यह उच्च रक्तचाप में भी फायदेमंद है। उच्च रक्तचाप के कारण यदि हृदय में सूजन उत्पन्न हो जाती है तो यह उसे भी दूर करती है।

 

  • 50 मिली. अर्जुन छाल के रस (यदि गीली छाल ना मिले तो 50 ग्राम सूखी छाल लेकर, 4 लीटर पानी में पकाएं। जब चौथाई शेष रह जाए तो क्वाथ को छान लें), 50 ग्राम गोघृत तथा 50 ग्राम अर्जुन छाल कल्क में दुग्धादि द्रव पदार्थ को मिलाकर मंद आंच पर पका लें। घृत मात्र शेष रह जाने पर ठंडा करके छान लें। अब इसमें 50 ग्राम शहद और 75 ग्राम मिश्री मिलाकर कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में रखें। इस घी को रोज सुबह शाम 50 ग्राम गाय के दूध के साथ लें। इसके सेवन से हृदय संबंधी परेशानियां ठीक हो जाती है तथा हृदय को बल मिलता है।

 

हड्डी जोड़ने में सहायक

 

अगर किसी की हड्डी टूट गई है या कमजोर हो गई है तो अर्जुन की छाल ऐसे में बहुत मददगार साबित होती है। अर्जुन की छाल के इस्तेमाल से केवल हड्डी के दर्द से आराम मिलता है बल्कि टूटी हड्डी जोड़ने में भी मदद मिलती है।

  • एक चम्मच अर्जुन की छाल के चूर्ण को दिन में तीन बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्तों तक सेवन करने से टूटी हड्डी मजबूत होती है। जहां से हड्डी टूटी है वहां पर इसकी छाल को घी में पीसकर लगाने और पट्टी बांधकर रखने से टूटी हड्डी जल्दी ही जुड़ जाती है।

 

  • अर्जुन की छाल तथा लाक्षा को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें और 2-4 ग्राम में गुग्गुलु तथा घी मिलाकर सेवन करने से तथा भोजन में घी दूध का इस्तेमाल करने से शीघ्र ही टूटी हड्डी ठीक हो जाती है।

 

  • अर्जुन की छाल से बने 20, 40 मिली. क्षीरपाक में 5 ग्राम घी एवं मिश्री मिलाकर पीने से टूटी हड्डी में लाभ होता है।

 

    अर्जुन की छाल के उपयोग का सही तरीका

     

    • अर्जुन की छाल का चूर्ण पानी में मिलाकर भोजन से पहले, दिन में एक या दो बार, 50 मिली. की खुराक बनाकर पिया जा सकता है।

     

    • एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण दो कप पानी में उबालें, पानी को आधा होने तक उबलने दें, और फिर छानकर इसे गरम-गरम पियें।

     

    • अर्जुन की छाल के चूर्ण को दूध के साथ मिलाकर भी पिया जा सकता है।

     

    • छाल को पीसकर उसका लेप बनाकर फोड़े पर लगाएं।

     

    • अर्जुन की छाल की दवाएं कैप्सूल के रूप में बाजारों में भी उपलब्ध है।

     

      अर्जुन की छाल का क्षीरपाक कैसे बनाया जाता है?

      अर्जुन की ताजा छाल को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रख लें। 250 मिली. दूध में 250 मिली. पानी मिलाकर हल्की आंच पर रख दें और उसमें 3 ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर उबालें। जब पानी आधा रह जाए तब उसे गैस पर से उतार लें। पीने लायक होने पर उसको छान लें और उसका सेवन करें। इससे हृदय रोग होने की संभावना कम होती है तो हार्टअटैक से भी बचाव होता है।

       

       

      अर्जुन की छाल लेने से पहले बरती जाने वाली सावधानियां

       

      हालांकि अर्जुन की छाल इस्तेमाल करने से पहले किसी खास सावधानी बरतने का कोई स्पष्ट वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है फिर भी सावधानी के तौर पर कुछ बातों का ध्यान रखा जा सकता है:

      • गर्भवती महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के अर्जुन की छाल का सेवन करें।

       

      • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी अर्जुन की छाल का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

       

      • यदि आप किसी विशेष दवा का सेवन कर रहे हैं तो ऐसे में बिना चिकित्सक की सलाह के अर्जुन की छाल का सेवन करें।

       

      • शुगर के मरीज भी अर्जुन की छाल का उपयोग सावधानी पूर्वक करें।

       

      • जहां तक संभव हो इसका इस्तेमाल चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही करें।

       

        अर्जुन की छाल के नुकसान

         

        अर्जुन की छाल के फायदे पाने के लिए इसका उपयोग सही मात्रा में किया जाना चाहिए। वैसे तो यह सेहत के लिए आमतौर पर सुरक्षित होती है, लेकिन कभी-कभी इसके सेवन से कुछ समस्याएं हो सकती हैं जो नीचे दी गई हैं:

        1. पेट में दर्द और ऐठन महसूस होना
        2. पेट में हल्की सूजन के कारण दर्द का अनुभव होना
        3. दस्त लगना
        4. जी मिचलाना और उल्टी आना
        5. सीने में जलन होना
        6. एलर्जी होना

         

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        Author

        Ridhima Arora

        Ridhima Arora is an Indian entrepreneur, author, trained yoga instructor, and practicing nutritionist. She is the founder of Namhya Foods.Besides being the founder of Namhya foods, Ridhima also gives nutrition coaching in seminars to kids, NGOs, and corporates. She also works as a freelancer at Global Changemakers.