फैटी लीवर के घरेलू उपचार के साथ जानें उसके कारण और लक्षण

लीवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो हमारे शरीर में भोजन पचाने से लेकर पित्त बनाने तक का काम करता है। यह हमारे शरीर में संक्रमण से लड़ने, ब्लड शुगर को नियंत्रित करने, फैट को कम करने, प्रोटीन बनाने और शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने जैसे कार्यों में अहम भूमिका अदा करता है।

 

fatty liver

 

लेकिन हम अपनी अनियमित दिनचर्या और असंतुलित आहार के कारण लीवर के कार्य में बाधा डालते हैं जिससे लीवर की समस्या पैदा हो जाती हैं जिसे फैटी लीवर कहते हैं। वैसे तो यह समस्या बहुत आम है लेकिन यदि समय पर इसका इलाज ना कराया जाए तो यह गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। आज इस लेख में हम आपको फैटी लीवर के कारण, लक्षण व फैटी लीवर के घरेलू उपचार के बारे में बताएंगे।

 

आइए सबसे पहले जानते हैं फैटी लिवर क्या है? फैटी लीवर का मतलब है लीवर की कोशिकाओं में ज्यादा मात्रा में फैट जमा होना। लीवर में फैट की कुछ मात्रा का होना तो सामान्य बात है लेकिन फैटी लीवर की बीमारी व्यक्ति को तब होती है जब वसा की मात्रा लीवर के भार से 10% अधिक हो जाती हैं।

 

ऐसी स्थिति में लीवर को सामान्य रूप से कार्य करने में मुश्किल होती है और फिर कई लक्षण उत्पन्न होते हैं। इसके बाद फैटी लीवर का इलाज करने की जरूरत पड़ती है। इसके लक्षण काफी समय बाद देखने को मिलते हैं लेकिन लंबे समय तक लीवर में ज्यादा वसा का जमा रहना शरीर के लिए नुकसानदायक है। 

 

आयुर्वेद में फैटी लीवर का संबंध पित्त दोष से बताया गया है यानी पित्त के दूषित होने से लीवर रोग हो जाता है। दूषित पित्त फैटी लिवर जैसे रोग का कारण बनता है। अनुचित खान-पान से लीवर में विषैले तत्व जमा होने लगते हैं जिससे लीवर को सामान्य से अधिक कार्य करना पड़ता है और फिर इसमें सूजन आ जाती हैं। तब फैटी लीवर का उपचार करने की जरूरत पड़ती है। आइए फैटी लीवर के प्रकार के बारे में जानते हैं। फैटी लीवर दो प्रकार का होता है-

 

  • नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर - नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर एक ऐसी बीमारी है जो शराब पीने से नहीं बल्कि अनियमित खानपान और जीवनशैली की वजह से होती है। यह आम तौर पर लोगों में देखने को मिल जाती है। इसमें लीवर पर किसी प्रकार की सूजन आ जाती है। इस सूजन के कारण भी लीवर पर वसा का जमाव हो जाता है। यह साधारण फैटी लीवर का संकेत हो सकता है।
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    साधारण फैटी लीवर खतरनाक बीमारी नहीं होती जबकि नॉन-अल्कोहोलिक स्टीटोइसहेपिटाइटिस एक प्रकार की बीमारी है जो खतरे का संकेत हो सकती है। इस बीमारी में लीवर पर सूजन होने के साथ-साथ लीवर की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचता है और यही बीमारी आगे चलकर लीवर के कैंसर का कारण बनती है।

     

  • अल्कोहोलिक फैटी लीवर - हमारा लीवर खाने-पीने के पदार्थों से हानिकारक तत्व को बाहर निकालने का कार्य करता है। यह एक प्रकार की फिल्टर मशीन जैसा होता है। अल्कोहोलिक फैटी लीवर शराब पीने के कारण होता है। शराब लीवर के लिए जहर के समान है। ऐसे लोग जो शराब पीते हैं वह फैटी लीवर जैसे रोग से ग्रस्त हो जाते हैं। शराब का सेवन करने से लीवर को अधिक कार्य करना पड़ता है जिससे लीवर की कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
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    वैसे तो लीवर शराब को शरीर से बाहर निकाल देता है लेकिन शराब से अलग किए हुए हानिकारक तत्व अभी शरीर में मौजूद रहते हैं और वह शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सूजन की समस्या तो बढ़ती ही है साथ ही लीवर पर फैट भी जमा होना शुरू हो जाता है। शराब पीने के कारण लीवर पर वसा का जमा होना शुरुआती लीवर की समस्या का संकेत है। आगे चलकर यह ना सिर्फ हेपेटाइटिस और सिरोसिस जैसी बीमारियों को जन्म दे सकती है बल्कि यह एक कैंसर का खतरा भी पैदा कर सकती है।

     

    फैटी लीवर के चरण

    फैटी लीवर चार चरणों के द्वारा शरीर में बढ़ता है- 

  • सरल फैटी लीवर - जिसे फैटी लिवर ग्रेड 1 कहते हैं। इसमें लीवर में अतिरिक्त वसा का निर्माण होता है। सरल फैटी लीवर तब हानिरहित है अगर यह बढ़ता नहीं है।

  • स्टीटोहेपिटाइटिस - यह फैटी लीवर ग्रेड 2 है। इसमें ज्यादा वसा के अलावा लीवर में सूजन भी हो जाती है।

  • फाइब्रोसिस - फैटी लीवर ग्रेड 3 इसमें लीवर में सूजन के कारण लीवर में दाग-धब्बे हो जाते हैं। हालांकि लीवर अभी भी सामान्य रूप से काम कर सकता है।

  • सिरोसिस - इस चरण में सूजन के कारण आए लीवर पर निशान बढ़ जाते हैं। जिससे लीवर की कार्य प्रणाली प्रभावित होती है। यह सबसे गंभीर चरण है।
  • फैटी लीवर के कारण

     

    यदि आप फैटी लिवर ट्रीटमेंट करना चाहते हैं तो आपको पहले फैटी लीवर के कारणों को जानना जरूरी है। आप इन कारणों को जानकर अपना बचाव करके इस बीमारी का इलाज़ कर सकते हैं।

     

  • गलत खानपान - गलत खानपान की आदत इस बीमारी के पैदा होने का मुख्य कारण है। यदि खानपान में पोषक तत्वों की कमी हो या फिर कैलोरी की मात्रा ज्यादा या कम हो तो ऐसे में शरीर को अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ज्यादा वसायुक्त चीजों का सेवन, तली भुनी चीजों का सेवन, जंक-फूड आदि का सेवन शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ा सकता है और यह फैटी लीवर का कारण बन सकता है।

  • healthy diet

     

  • शराब का सेवन - शराब का सेवन करने से भी फैटी लीवर की बीमारी होती है। शराब पीने से लीवर खराब होने का खतरा भी बढ़ जाता है। शराब में काफी मात्रा में फैट पाया जाता है जिसके कारण लीवर पर फैट जमा होने की संभावना ज्यादा रहती हैं। इसी के साथ शराब में जहरीले और बहुत ही हानिकारक तत्व होते हैं जोकि ना सिर्फ लीवर डैमेज के कारण बनते हैं बल्कि इससे गुर्दे फेल होने का भी खतरा रहता है।
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  • अन्य शारीरिक बीमारियां - फैटी लीवर की बीमारी सिर्फ शराब पीने से या फैट के अत्यधिक जमाव के कारण नहीं होती बल्कि हमारे शरीर में अन्य बीमारियों के कारण भी जन्म ले सकती हैं; जैसे हाई ट्राईग्लिसराइड (यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में पाई जाने वाली वसा बहुत बढ़ जाती है), मोटापा तथा डायबिटीज की समस्या होने पर भी फैटी लीवर होने का खतरा रहता है।

  • वजन घटाने के सप्लीमेंट - मोटापे से परेशान लोग वजन को घटाने के लिए हर दिन कुछ नए तरीके आजमाते रहते हैं। ऐसे में कुछ लोग सप्लीमेंट खाना शुरू कर देते हैं। कई लोग वजन को तेजी से घटाने के लिए ऐसे सप्लीमेंट या प्रोटीन युक्त पदार्थ खाने लगते हैं जो वसा को तेजी से हटाने के लिए बाज़ार में उपलब्ध हैं। यह सप्लीमेंट शरीर में कई बीमारियों के साथ-साथ लीवर डैमेज के खतरे के लिए भी जिम्मेदार माने जाते हैं। लोग वजन घटाने के लिए सप्लीमेंट खाने के साथ-साथ सही डाइट नहीं लेते हैं और उचित खानपान ना लेने के कारण पोषक तत्व की शरीर में कमी हो जाती हैं।

  • इससे लीवर के कार्य करने के लिए लीवर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती। यह कमी लीवर की कार्य क्षमता को भी कम कर देती है जिससे लीवर को वसा को ग्लूकोस के रूप में जमा करने और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को प्रवावित करने में परेशानी होती है। इस कारण वसा लीवर पर ही जमा होने लग जाती है और फिर फैटी लीवर जैसी समस्या खड़ी हो जाती है।

     

  • पर्याप्त नींद ना लेना - पर्याप्त नींद ना लेने के कारण लीवर की कार्य क्षमता पर असर पड़ता है। लीवर की कार्य क्षमता प्रभावित होने से वसा का जमाव लीवर पर ही होने की संभावना काफी ज्यादा हो जाती हैं और जिस कारण फैटी लीवर की समस्या पैदा होती है।

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    फैटी लीवर के लक्षण

    फैटी लीवर की समस्या बहुत आम है और फैटी लिवर के लक्षण इसके शुरुआती दिनों में दिखाई भी नहीं देते हैं। जब तक इसके लक्षण नजर आते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि नॉन अल्कोहोलिक फैटी लीवर कई सालों तक बिना किसी लक्षण के लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है। जब हद से ज्यादा समस्या बढ़ जाती है उस स्थिति में इसके लक्षण दिखाई पड़ते हैं जो कि कुछ इस प्रकार हैं-

     fatty liver

     

  • थकान व कमजोरी - फैटी लीवर की समस्या में रोगी को अधिक थकान और कमजोरी महसूस होती है क्योंकि इस रोग के कारण रोगी में ऊर्जा की कमी हो जाती है। वह हर वक्त कमजोरी और थकान महसूस करता है।

  • पेट संबंधी परेशानी - फैटी लीवर की समस्या पाचन प्रक्रिया में रुकावट पैदा करती है। जिस वजह से रोगी को पेट संबंधी कई परेशानियां हो जाती हैं। लीवर पर फैट जमने के कारण लीवर पर सूजन आ जाती है जिससे शरीर के पेट के हिस्से में जहां लीवर होता है वहां सूजन रहती है और रोगी को वहां दर्द भी होता है।

  • वजन का कम होना - फैटी लीवर से पाचन प्रक्रिया पर असर पड़ता है जिस कारण शरीर में खाने से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं। ऐसे में फैटी लीवर के रोगी का वजन तेजी से गिरने लगता है।

  • भ्रम की स्थिति - फैटी लीवर की बीमारी में रोगी को भ्रम का अनुभव हो सकता है, यह बीमारी मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता पर असर डालती है। फैटी लीवर से ग्रस्त रोगी में भ्रम या उलझन की स्थिति देखी जा सकती है।

  • भूख ना लगना - फैटी लीवर के रोगी की भूख में कमी आ जाती है।

  • उल्टी की समस्या- रोगी का कुछ भी खाने का मन नहीं होता और हमेशा उल्टी जैसा मन बना रहता है।

  • पैरों में सूजन - फैटी लीवर के रोगी में पैरों में सूजन जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं।
  • फैटी लीवर के घरेलू उपचार

     

    हमारे किचन में कई ऐसी चीजें मौजूद हैं जो फैटी लीवर के लक्षणों को काफी हद तक कम करने में मददगार हैं। तो आज हम इन्हीं लीवर ठीक करने के घरेलू उपाय के बारे में जानेंगे। 

     

  • आंवला - आंवला फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार है। आंवले में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो लीवर के लिए सहायक प्रोटीन को बढ़ाने का काम करते हैं। यह सहायक प्रोटीन लिपिड संबंधी चयापचय क्रिया को तेज कर लीवर संबंधी जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। आंवले का उपयोग फैटी लीवर की समस्या से बचाव का बेहतर तरीका है।
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    आंवले के उपयोग से आप कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकते हैं। दो आंवला लेकर उसके बीज निकालकर टुकड़े कर लें। आंवले के टुकड़े और एक गिलास पानी लें और उसे ग्राइंडर में ग्राइंड कर लें। फिर इसे छानकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें। इस तरह दिन में एक या दो बार इसका सेवन करने से आप फैटी लीवर की समस्या से निजात पा सकते हैं। आप चाहे तो कच्चा आंवला या आंवले के मुरब्बे का सेवन भी कर सकते हैं।

     

  • अदरक - अदरक में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और हाइपोलिपिडेमिक यानी कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि फैटी लिवर के इलाज में अदरक का इस्तेमाल लाभकारी साबित होता है। एक कप पानी में अदरक के टुकड़े 5 से 10 मिनट के लिए उबालें। इसे छानकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और इसका सेवन करें। इसका इस्तेमाल दिन में 1 बार करें।

  • व्हीट ग्रास - कई विशेषज्ञों का मानना है कि व्हीट ग्रास में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण फैटी लीवर के रोगी के लिए काफी लाभदायक है इसलिए फैटी लिवर का उपचार व्हीट ग्रास द्वारा किया जा सकता है। इसमें मौजूद गुण लीवर को साफ करने में मदद करते हैं साथ ही शराब के कारण होने वाले फैटी लीवर की समस्या को दूर करने में व्हीटग्रास का इस्तेमाल काफी फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए आप व्हीटग्रास को अच्छे से धो लें। व्हीटग्रास और पानी को ग्राइंडर में डालें और अच्छे से ग्राइंड कर लें। अब इसे छानकर तुरंत पी जाएं। ध्यान रहे इसमें नींबू और नमक का इस्तेमाल ना करें। इस प्रक्रिया को दिन में दो-तीन बार दोहराएं।

  • हल्दी - हल्दी फैटी लीवर के घरेलू उपचार में से एक है। एक शोध में पाया गया है कि हल्दी नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर जैसे रोग को कम करने में फायदेमंद है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर की समस्या को कुछ हद तक कम करने में मददगार हैं। इसके लिए आप दूध को गर्म करें और उसमें आधा चम्मच हल्दी डालकर अच्छे से मिला लें। आप इस हल्दी वाले दूध का प्रतिदिन सेवन करें। इसके सेवन से आपको फैटी लीवर की समस्या में राहत मिलेगी।

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  • नींबू का रस - नींबू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और हेपटोप्रोटेक्टिव गुण शराब के सेवन से होने वाले लीवर की समस्या में काफी असरदार है। इतना ही नहीं नींबू में सिट्रिक एसिड भरपूर होता है जो एक कारगर एंटीऑक्सीडेंट है। नींबू में मौजूद यह गुण फैटी लीवर के दौरान होने वाली ऑक्सीडेशन प्रक्रिया को रोकने का काम कर सकता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि फैटी लीवर का इलाज करने के लिए नींबू का सेवन किया जा सकता है। इसके लिए आप एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाएं और इस पानी को पी जाएं। आप दिन में 1 से 2 बार नींबू का पानी पी सकते हैं।

  • अलसी के बीज - अलसी के बीज फैटी लीवर की समस्या में उपयोगी हैं। इसमें पाए जाने वाले खास पोषक तत्व फैटी लीवर की समस्या को दूर करने में मददगार साबित होते हैं। इसके लिए आप अलसी के बीज के पाउडर को गरम पानी में मिलाएं। इसमें स्वाद के लिए नींबू या शहद मिलाकर इसका सेवन करें।

  • एलोवेरा - मधुमेह और मोटापा जैसी बीमारियां भी फैटी लीवर के होने के कारणों में से एक हैं। ऐसे में एलोवेरा में मौजूद एंटी हाइपरग्लिसेमिक यानी ग्लूकोज को कम करने का प्रभाव लीवर से जुड़ी समस्या में बचाव कर सकता है। साथ ही एलोवेरा का एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण लीवर संबंधी समस्या व सूजन के जोखिम को भी कम कर सकता है, इसलिए फैटी लीवर की समस्या में एलोवेरा का उपयोग बेहद फायदेमंद है। इसके लिए आप एलोवेरा की दो पत्तियां लेकर उन्हें धो लें। अब इन्हें आधे गिलास पानी के साथ ग्राइंड कर लें। तैयार हुए जूस में नमक डालकर पी जाएं। दिन में इसका सेवन आप एक बार जरूर करें।


  • प्याज - फैटी लीवर के घरेलू उपचार में प्याज एक बढ़िया नुस्खा है। वैसे तो प्याज के कई सारे फायदे हैं, उन्हीं में से एक है; फैटी लिवर से बचाव। प्याज का सेवन फैटी लीवर के जोखिम और लक्षणों को कम करने में मदद करता है। फैटी लीवर से बचाव के लिए आप प्याज को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। आप प्याज को सलाद के रूप में खाएं और किसी भी सामान्य आहार को तैयार करने में प्याज को शामिल करें।

  • टमाटर - टमाटर में पाया जाने वाला खास तत्व लाइकोपीन शराब के सेवन से होने वाली फैटी लीवर की समस्या में सहायक साबित हो सकता है। फैटी लीवर के नुकसान को कम करने और उससे बचाव के लिए आप टमाटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। टमाटर लीवर को डिटॉक्सीफाई करने में भी मदद करता है। इसमें मौजूद सल्फर लीवर को सुरक्षित रखने में काफी फायदेमंद है इसलिए टमाटर को लीवर के लिए बहुत ही उपयोगी खाद्य पदार्थ माना जाता है। टमाटर को आप सलाद के रूप में इस्तेमाल करें। अपने रोज के खाने में भी आप टमाटर का इस्तेमाल करें। टमाटर के सूप या चटनी का भी आप इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • tomato

     

  • नारियल पानी - फैटी लीवर को कम करने में नारियल पानी इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसा कि हम जानते हैं मधुमेह फैटी लीवर का एक कारण है। ऐसे में नारियल पानी के उपयोग से नारियल पानी में मौजूद मैनिटोल और सोर्बिटोल शुगर को कम कर लीवर को स्वस्थ रखने में मददगार हो सकते हैं। साथ ही यह लीवर डैमेज के खतरे को भी कम करता है। स्वस्थ लीवर के लिए आप रोजाना एक नारियल पानी का सेवन अवश्य करें।

  • मुलेठी - शराब के सेवन से होने वाले फैटी लीवर के रोग में मुलेठी के इस्तेमाल से राहत मिलती है। इसमें पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण इस समस्या से निजात दिलाने में सहायक हैं। इसके साथ ही इसमें हेपटोप्रोटेक्टिव यानी लीवर को सुरक्षित जाने वाले गुण भी काफी असरदार है। आधे कप गर्म पानी में मुलेठी का पाउडर डालकर उसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर इसे छानकर पिएं। आप सोच रहे होंगे कि इसके इस्तेमाल से फैटी लिवर रिकवरी टाइम कितना होगा? तो आपको बता दें कि अगर आप इस नुस्खे को अपनाते हैं तो 12 हफ्तों में आप फैटी लीवर के लक्षणों से राहत पा सकते हैं।


  • छाछ - यदि आप भी फैटी लीवर की समस्या से परेशान हैं तो छाछ का इस्तेमाल करें। दरअसल एक शोध में पाया गया है कि छाछ में प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स पाए जाते हैं और छाछ में पाए जाने वाले यह बैक्टीरिया लीवर में होने वाली सूजन को कम करने में मदद करते हैं इसलिए छाछ का सेवन फैटी लीवर के लक्षणों को कम करने मैं फायदेमंद है। छाछ बनाने के लिए एक कप फेंटे हुए दही में एक चुटकी भुना हुआ जीरा, आधा चम्मच काला नमक और 4 कप ठंडा पानी डालें। अब इन सभी को मिलाकर अच्छी तरह से फेंटे। इस पर ऊपर से धनिया पत्ती डालकर खाने के साथ इसका सेवन करें।

  • पपीता - पपीते का सेवन भी फैटी लीवर के घरेलू उपचार में से एक है। पपीते में हेपटोप्रोटेक्टिव, हाइपोलिपिडेमिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण पाए जाते हैं और यह गुण फैटी लीवर की समस्या में बहुत फायदेमंद है इसलिए पपीते का सेवन यदि किया जाए तो फैटी लीवर की समस्या में राहत पाई जा सकती हैं। इसके लिए आप पपीते के 5 से 6 टुकड़ों को और आधा गिलास दूध को ग्राइंडर में डालें और ग्राइंड करें। फिर पपीते से बने मिल्क शेक का सेवन करें। आप चाहे तो पके हुए पपीते को ऐसे ही काटकर भी खा सकते हैं।

  • करेला - करेले में इन्फ्लामेशन और ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने वाले गुण पाए जाते हैं। साथ ही करेले में फैटी लीवर का कारण बनने वाले लिपिड को भी नियंत्रित करने की क्षमता होती है। करेला मोटापे की वजह से होने वाले फैटी लीवर के जोखिम को कम करने में भी सहायक है साथ ही यह लीवर को डिटॉक्सीफाई करता है। इसका एंटीट्यूमर गुण लीवर के कैंसर के खतरे को कम करता है इसलिए फैटी लीवर के घरेलू उपचार में करेले का इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद है।
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    इसके लिए आप करेले के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें और उसके बीज निकालकर इन टुकड़ों पर आधे घंटे के लिए नमक लगाकर रख दें ताकि इनकी कड़वाहट निकल जाए। इसके बाद करेले को ग्राइंडर या जूसर में पानी के साथ डालें और अच्छे से इसका जूस निकाल लें। अब इस जूस को छलनी से छान लें। इसमें नींबू का रस और नमक मिलाकर इसका सेवन करें। इसको दिन में एक बार जरूर पिएं।

     

  • ग्रीन टी - ग्रीन टी का इस्तेमाल भी फैटी लीवर की समस्या को कम करने में फायदेमंद है। रिसर्च में पाया गया है कि नॉन green teaअल्कोहोलिक फैटी लीवर की समस्या को कम करने में ग्रीन टी का इस्तेमाल उपयोगी है। दरअसल ग्रीन टी पॉलीफेनोलिक कैटेचिन से भरपूर होती हैं जिसमें हाइपोलिपिडेमिक, थर्मोजेनिक, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे गुण होते हैं। इसमें हेपटोप्रोटेक्टिव लीवर को सुरक्षित रखने जैसा गुण भी होता है इसलिए ग्रीन टी नॉन अल्कोहोलिक फैटी लीवर के जोखिम को कम करने में मददगार है। आप ग्रीन टी का सेवन दिन-भर में एक बार कर सकते हैं।
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  • सेब का सिरका - सेब का सिरका फैटी लीवर के घरेलू उपचार के लिए एक अच्छा विकल्प माना जाता है। सेब के सिरके का उपयोग टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने में मददगार होता है। टेस्टोस्टेरोन के बढ़ने पर नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सेब के सिरके का उपयोग करने से यह सीरम ट्राइग्लिसराइड, कोलेस्ट्रॉल, लीवर एंजाइम और ग्लूकोज के स्तर को कम करने में भी लाभदायक होता है जो कि फैटी लीवर की समस्या का कारण बन सकते हैं।
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    फैटी लिवर में क्या खाना चाहिए

    खानपान में सुधार करके कई समस्याओं को हल किया जा सकता है। फैटी लीवर की समस्या को भी आप अपने खानपान में सुधार करके काफी हद तक ठीक कर सकते हैं। खानपान से पूरी तरह इसका इलाज नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके जोखिम को कम जरूर किया जा सकता है। इसलिए फैटी लिवर में क्या खाना चाहिए आइए जानते हैं-

     

    1. कॉफी
    2. मछ्ली
    3. डेयरी प्रोडक्ट
    4. ताजे फल
    5. ताजी सब्जियां
    6. एवोकाडो
    7. अखरोट
    8. ग्रीन टी

     

    फैटी लीवर में क्या नहीं खाना चाहिए

    फैटी लीवर में क्या खाना चाहिए यह जानने के साथ-साथ यह भी जानना जरूरी है कि फैटी लीवर में क्या नहीं खाना चाहिए ताकि फैटी लीवर में आप उन चीजों को ना खाकर इस समस्या से अपना बचाव कर सके। तो आइए जानते हैं कि फैटी लीवर में क्या नहीं खाना चाहिए-

     

    1. अल्कोहल
    2. फ्राइड फूड
    3. रेड मीट
    4. चावल
    5. सफेद ब्रेड
    6. पास्ता
    7. नमक

     

    Namhya से खरीदें लीवर क्लींज़ टी

    यदि आप भी फैटी लीवर जैसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो आप Namhya लीवर क्लींज़ टी का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह Namhya का एक हर्बल प्रोडक्ट है जो मुख्य रूप से कब्ज, मोटापे, लीवर रोग और पेट में सूजन के इलाज के लिए बहुत ही फायदेमंद है।

     

    Namhya लीवर क्लींज़ टी गिलोय, हरीतकी, मंजिष्ठा, दुग्ध रोम जैसी नेचुरल चीजों से बनी है। इसके इस्तेमाल से आप नेचुरल तरीके से अपने फैटी लीवर की समस्या से काफी हद तक निजात पा सकते हैं। इस प्रोडक्ट को आप Namhya की वेबसाइट से घर बैठे ऑनलाइन उचित कीमत पर मंगवा सकते हैं और एक हेल्थी लाइफ एंजॉय कर सकते हैं।

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    Author

    Ridhima Arora

    Ridhima Arora is an Indian entrepreneur, author, trained yoga instructor, and practicing nutritionist. She is the founder of Namhya Foods.Besides being the founder of Namhya foods, Ridhima also gives nutrition coaching in seminars to kids, NGOs, and corporates. She also works as a freelancer at Global Changemakers.