कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जिनका इस्तेमाल वर्षों से आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में किया जाता रहा है। ये जड़ी-बूटियां हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित हुई हैं; इनमें से एक है शतावरी। आइए जानते हैं शतावरी क्या है? शतावरी को आमतौर पर शतावर के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे एस्पेरेगस के नाम से जाना जाता है।
इसका वैज्ञानिक नाम एस्पेरेगस रेसिमोसस है। शतावरी बेल या झाड़ के रूप में पाई जाने वाली जड़ी-बूटी है। इसकी लताएं फैलने वाली और झाड़ीदार होती हैं। एक-एक पेड़ के नीचे 100 या इससे ज्यादा जड़े होती हैं। यह जड़े लगभग 30 से 100 सेंटीमीटर लंबी और 1 से 2 सेंटीमीटर मोटी होती है। जड़ के दोनों सिरे नुकीले होते हैं। इस जड़ के ऊपर भूरे रंग का छिलका होता है। इसको हटाने पर दूध जैसी सफेद जड़े निकलती हैं। जड़ों के बीच में कठोर रेशा होता है जो गीला, सूखा दोनों अवस्था में निकाला जा सकता है।
एक असरदार जड़ी-बूटी के रूप में शतावरी का उपयोग अनेकों बीमारियों में किया जाता है। ह्रदय रोगों, मधुमेह, माइग्रेन जैसी बीमारियों में शतावरी के फायदे हैं। शतावरी दो प्रकार की होती है-
- विरलकंद शतावरी - इसके कंद छोटे, मांसल, फूले हुए तथा गुच्छों में लगे हुए होते हैं। इस शतावरी का सेवन काढ़ा बनाकर किया जाता है।
- कुन्तपत्रा शतावरी - यह झाड़ीदार पौधा होता है। इसके कंद छोटे और मोटे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और फल गोल होते हैं। जब यह कच्ची अवस्था में होता है तो उसके फल हरे रंग के होते हैं और जब यह पक जाते हैं तो लाल रंग के हो जाते हैं।
आज इस लेख में हम कई बीमारियों में होने वाले शतावरी के फायदे और नुकसान के बारे में पढ़ेंगे।
महिलाओं के लिए रामबाण
शतावरी के फायदे महिलाओं के लिए तो अनेक हैं। पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाले दर्द में शतावरी का उपयोग करने से बहुत फायदा मिलता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि शतावरी में पाया जाने वाला विटामिन 'के' पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में बहुत राहत पहुंचाता है। ये पीरियड्स की अनियमितता और उससे जुड़ी अनेकों तकलीफ़ों में लाभकारी है। यह महिलाओं की हार्मोन असंतुलन की समस्या में भी फायदेमंद है।
यदि कोई महिला गर्भवती है तो वो भी शतावरी के लाभ का फायदा उठा सकती है। गर्भवती महिलाएं शतावरी, सौंठ, अश्वगंधा, मुलेठी तथा भृंगराज को समान मात्रा में लें और इनका चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा को बकरी के दूध के साथ पीना चाहिए। ऐसा करने से गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ रहता है।
यदि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्तनों में दूध की कमी की शिकायत है तो ऐसी स्थिति में महिलाएं 10 ग्राम शतावरी चूर्ण का दूध के साथ सेवन करना चाहिए। इससे उनके स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। डिलीवरी के बाद भी शतावरी का सेवन महिलाओं की सेहत के लिए अच्छा है। इसी तरह शतावरी को गाय के दूध में पीसकर सेवन करना चाहिए। इससे स्तनों का दूध और भी पोष्टिक हो जाता है।
मधुमेह में फायदेमंद
मधुमेह जैसे रोग में भी शतावरी के फायदे देखे जा सकते हैं। टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में तो शतावरी बहुत ही मददगार है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शतावरी में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। यदि आपके शरीर में इंसुलिन उत्पादन उचित मात्रा में नहीं होता है तो यह मधुमेह की परेशानी बढ़ा सकता है लेकिन शतावरी का नियमित सेवन इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाने में भी सहायक होता है। आप मधुमेह के लक्षणों को कम करने के लिए शतावरी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
गठिया में उपयोगी
अर्थराइटिस, जोड़ों के दर्द की समस्या जिसे गठिया भी कहा जाता है, आजकल बहुत आम हो गई है। इसमें व्यक्ति को चलने-फिरने में काफी परेशानी होती है। इस बीमारी में घुटनों में सूजन आ जाती हैं। कई लोगों को गठिया के कारण घुटनों, कोहनी, उंगलियों, जबड़े, कूल्हों आदि में बहुत दर्द रहता है। पहले यह बीमारी बुजुर्ग लोगों को ज्यादा होती थी लेकिन अब कम उम्र के लोगों को भी गठिया की परेशानी होने लगी हैं।
दुख की बात यह है कि इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है। विशेषज्ञ कहते हैं कि खानपान के जरिए गठिया की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा कई जड़ी-बूटियां भी ऐसी है जिससे भी आप गठिया की परेशानी को कम कर सकते हैं। शतावरी के फायदे तो गठिया में देखने लायक है।
जो लोग गठिया से प्रभावित हैं उनके लिए शतावरी एक चमत्कारी औषधि है। क्योंकि यह एक दर्दनाक बीमारी है जिससे अंगों में सूजन आ जाती है और रोगी को हमेशा दर्द रहता है। शतावरी के एंटी-इंफ्लामेटरी गुण गठिया की सूजन को कम करने में बहुत सहायक है इसलिए यदि आप गठिया रोगी हैं तो शतावरी के लाभ जरूर उठाएं।
माइग्रेन से दिलाए छुटकारा
माइग्रेन मतलब सिर के आधे भाग में दर्द होना। माइग्रेन की समस्या बहुत ही गंभीर समस्या है। यह पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखने को मिल रही है। रोगी को माइग्रेन का दर्द लगातार नहीं होता बल्कि रुक-रुक कर होता है या यह दर्द अधिक होता है। इसके लक्षणों में उल्टी, आंखों में दर्द, जी मिचलाना, आदि शामिल हैं।
माइग्रेन की समस्या में प्राकृतिक उपाय अपनाना एलोपैथिक दवाओं से ज्यादा फायदेमंद है। माइग्रेन के लिए शतावरी बहुत लाभकारी औषधि है। माइग्रेन में इसका इस्तेमाल करने के लिए शतावरी को कूटकर उसका रस निकाल लें और इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर रोगी के सिर पर मालिश करें।
इससे माइग्रेन के रोगी को काफी आराम मिलता है। इसके अलावा माइग्रेन रोगी शतावरी पाउडर के फायदे भी उठा सकता है। इसके लिए शतावर चूर्ण खाने का तरीका जरूर जान लें। आप 3 दिन सुबह-शाम शतावरी चूर्ण 5 ग्राम से 10 ग्राम की मात्रा में थोड़े से शुद्ध घी में मिलाकर चाटे व गुनगुना मीठा दूध पिएं। इससे भी इस रोग से जल्दी छुटकारा मिल जाता है।
एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार शतावरी में मौजूद राइबोफ्लेविन नामक विटामिन की रोजाना ली गई 400 ग्राम मिलीग्राम मात्रा माइग्रेन की समस्या से निजात दिलाने का काम कर सकती है।
पुरुषों की शारीरिक समस्याओं में कारगर
शतावरी में कई पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, एनर्जी, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, मैग्निशियम, कैल्शियम, आयरन और कई तरह के विटामिन भी पाए जाते हैं जिस कारण शतावरी हर वर्ग के लिए बहुत ही उपयोगी है। शतावरी के फायदे पुरुषों के लिए तो बेहद ही लाभकारी हैं। इसके इस्तेमाल से पुरुषों की कई परेशानी जैसे मोटापा, लो स्पर्म काउंट, स्वप्नदोष, प्रजनन क्षमता, आदि में सुधार किया जा सकता है।
शतावरी का उपयोग करके पुरुषों की शारीरिक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यह उनके यौन जीवन पर सकारात्मक असर डाल सकता है। रात में सोने से पहले हल्के गुनगुने दूध के साथ शतावरी पाउडर का सेवन करने से मांसपेशियां मजबूत होती है जो शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी असरदार है। पुरुषों को स्वप्नदोष की परेशानी से छुटकारा दिलाने में भी शतावरी बेहद कारगर है। इसके लिए शतावरी का चूर्ण लें इसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करें। इससे स्वपनदोष की परेशानी में लाभ मिलता है।
शतावरी में एंटीऑक्सीडेंट और ग्लूटाथियोन नामक तत्व होता है जो पुरुषों में बढ़ती उम्र की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है। नियमित रूप से इसके सेवन से पुरुषों में होने वाली झुर्रियों की परेशानी और शारीरिक कमजोरी को दूर करने में यह काफी असरदार है। लो स्पर्म काउंट की समस्या से जूझ रहे पुरुषों के लिए भी शतावरी बेहद फायदेमंद है। साथ ही इससे इनफर्टिलिटी की परेशानी भी दूर हो सकती हैं। शतावरी में अमीनो एसिड पाया जाता है जो शराब की लत को भी कम कर सकता है। इसलिए जो लोग शराब की लत से छुटकारा पाना चाहते हैं वह इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
वजन घटाए
आज के समय में हर कोई मोटापे से परेशान है, हर कोई जल्द से जल्द अपना वजन घटाना चाहता है। वर्तमान में लोगों का फिजिकल वर्क बिल्कुल ना के बराबर हो गया है जिस कारण लोग काफी तेजी से मोटे हो जाते हैं। अगर आप भी वजन घटाना चाहते हैं और आपके पास जिम जाने का समय नहीं है तो आप आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सहारा ले सकते हैं। यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां मोटापा घटाने में आपकी मदद कर सकती हैं।
ऐसी ही आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है शतावरी। इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों फाइबर पाए जाते हैं जो वजन कम करने में मददगार साबित होते हैं। शतावरी के पोषक तत्व मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद करते हैं। मेटाबॉलिज्म बूस्ट होने से वजन तेजी से घटने लगता है। अगर आप वजन घटाना चाहते हैं तो नियमित रूप से शतावरी चूर्ण का सेवन करें। आप सोच रहे होंगे कि शतावर के चूर्ण का कितने दिन में असर होता है? तो बता देते हैं कि यह जड़ी-बूटी एक सप्ताह में ही अपना असर दिखाने लगती है।
बस इसके लिए आप रोज रात को सोने से पहले दूध और शतावरी का सेवन कर सकते हैं। यदि इसका स्वाद पसंद नहीं आए तो दूध में शतावरी के साथ थोड़ी सी इलायची या शहद मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं। एक गिलास गर्म पानी लें। इसमें एक चम्मच शतावरी चूर्ण और एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं। शतावरी चूर्ण के फायदे का लाभ उठाकर भी आप तेजी से वजन घटा सकते हैं।
पाचन क्रिया को करे दुरुस्थ
अपच, पेट फूलना, गैस, कब्ज, आदि परेशानियों में शतावरी एक बढ़िया जड़ी-बूटी है। यह आहार नली में गैस के निर्माण को कम करती है जिससे इन समस्याओं में राहत मिलती है। शतावरी पाउडर शरीर में पोषक तत्व के बेहतर अवशोषण को बढ़ाता है। शतावरी के जड़ के पाउडर में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है जो कब्ज और पेट से जुड़ी कई परेशानियों के लिए एक अच्छा इलाज है। एक चम्मच शतावरी के चूर्ण को गर्म पानी में मिलाएं। इसमें आधा चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करने से आपकी पाचन क्रिया सही रहती है।
हृदय रोगों में फायदेमंद
शतावरी ह्रदय रोगों में बहुत सकारात्मक असर करती है। जो कई तरह के हृदय रोगों के इलाज में सहायक है। इसका सेवन हृदय प्रणाली को आराम देता है। यह अनियमित दिल की धड़कन में बहुत फायदा पहुंचाती है। शतावरी रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने का कार्य करती हैं। इसके सेवन से रक्त के थक्के का जोखिम, दिल के दौरे और दिल के ब्लॉक होने के जोखिम का खतरा कम होता है।
श्वसन संबंधी परेशानी में लाभकारी
श्वसन संबंधी तकलीफों में शतावरी का उपयोग बहुत ही कारगर उपाय है। इसमें मौजूद एंटी-बायोटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण, सर्दी, खांसी और फ्लू के लक्षणों को कम करते हैं। छाती और नाक के भीतर जमे बलगम को भी यह पतला करता है जिससे सांस लेने में आसानी होती है। शतावरी का नियमित सेवन किया जाए तो यह फेफड़ों को मजबूत कर उन्हें स्वस्थ बनाने में मदद करता है। अस्थमा के इलाज में भी शतावरी बहुत फायदेमंद है।
त्वचा में लाए निखार
आज के प्रदूषण भरे वातावरण में सबसे ज्यादा मार हमारी त्वचा को ही झेलनी पड़ती है। इस प्रदूषण और धूल भरे माहौल में हमारी त्वचा बेजान और रूखी हो जाती है। यदि आप भी अपनी त्वचा को बचाना चाहते हैं तो शतावरी का इस्तेमाल करें। गुलाब जल में शतावरी जड़ी-बूटी के पाउडर को मिलाकर चेहरे पर लगाने से यह झाइयां एवं काले धब्बों को दूर करता है। शतावरी पाउडर को दूध में मिलाकर उसके पेस्ट को आप मुहांसों पर भी लगा सकते हैं। यह मुहांसों के बैक्टीरिया को खत्म करता है और चेहरे से मुहांसों को ठीक करता है।
शतावरी के सेवन का तरीका
शतावरी खाने के फायदे वैसे तो बहुत है। लेकिन इसके सेवन के सही तरीकों का पता होना बेहद जरूरी है। आइए इसके उपयोग के तरीकों के बारे में जानते हैं-
- शतावरी को आप सलाद के रूप में भी खा सकते हैं।
- शतावरी को आप रोस्ट करके या उबाल कर भी खा सकता हैं।
- शतावरी के रस का भी आप इस्तेमाल कर सकते हैं।
- आप शतावरी का काढ़ा बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।
- शतावरी को आप चूर्ण के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कई लोग नहीं जानते कि शतावरी चूर्ण कैसे खाएं? शतावरी चूर्ण का सेवन आप दूध और पानी दोनों के साथ कर सकते हैं।
शतावरी के नुकसान
शतावरी एक बेहद गुणकारी औषधि है जो अनेकों समस्याओं में लाभ पहुंचा सकती हैं। यदि इसका सही से सावधानीपूर्वक सेवन ना किया जाए तो यही औषधि आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकती है इसलिए शतावरी के सेवन के समय कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें जैसे-
- शतावरी में मौजूद पोषक तत्वों में कैल्शियम भी पाया जाता है जिससे रक्त में कैल्शियम की अधिक मात्रा हाइपरक्लेसेमिया का कारण बन सकती है। इसकी वजह से उल्टी, थकावट जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
- शतावरी के अंदर पोटैशियम बहुत अधिक पाया जाता है और अगर इसका ज्यादा सेवन कर लिया जाए तो शरीर में भी पोटैशियम की मात्रा अधिक हो जाती हैं। जब पोटैशियम की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है तो यह हाइपरक्लेमिया का कारण बन सकती हैं जिससे आपको सांस लेने में दिक्कत और सीने में जलन जैसी तकलीफें हो सकती हैं।
- शतावरी को यदि सीधे ही त्वचा पर लगा लिया जाए तो इससे एलर्जी भी हो सकती हैं।
- शतावरी में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भले ही कम होती है फिर भी इसके ज्यादा सेवन से मोटापे की समस्या हो सकती हैं।
- शतावरी का सेवन गर्भवती महिलाओं को हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
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