पीरियड्स (मासिक धर्म) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता है। पीरियड्स का समय एक महिला के लिए बड़ा चुनौती भरा समय होता है। मासिक धर्म की प्रक्रिया एक महिला के लिए मां बनने में सहायक होती है। इस दौरान ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक बदलाव भी एक महिला में देखे जा सकते हैं जिन्हें हम हार्मोनल चेंज का नाम देते हैं। पीरियड्स के दौरान महिला के शरीर में काफी मात्रा में रक्त का रिसाव होता है जिससे उनमें कमजोरी आ जाती है और उन्हें काफी दर्द भी होता है। आज इस लेख में हम पीरियड्स के दर्द के उपाय और उसके लक्षणों के बारे में जानेंगे।
पीरियड के समय होने वाला दर्द कई बार इतना असहनीय हो जाता है कि कुछ महिलाएं इस दर्द से बचने के लिए दर्द निवारक दवाइयों का इस्तेमाल करती हैं जो कि शरीर के लिए काफी नुकसानदायक है। पीरियड्स में दर्द क्यों होता है? यह जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि पीरियड्स का दर्द क्या होता है? पीरियड्स के समय होने वाले दर्द को मेडिकल भाषा में डिसमेनोरिया कहा जाता है।
यह दर्द मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है जिसमें पहला है; प्राइमरी डिसमेनोरिया और दूसरा है; सेकेंडरी डिसमेनोरिया।
1. प्राइमरी डिसमेनोरिया - इस दर्द का कारण आमतौर पर शरीर में प्रोस्टाग्लैंडीन की अधिकता को माना जाता है प्रोस्टाग्लैंडीन गर्भाशय द्वारा निर्मित रसायनिक तत्व होता है जो हार्मोन की तरह ही काम करता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों में संकुचन को बढ़ाता है जो कि ऐंठन का कारण बन सकता है। यह पेट के निचले हिस्से में होने वाला दर्द है जो मासिक धर्म के पहले या उस समय ही होता है। इस दर्द का किसी भी प्रकार की शारीरिक बीमारी से कोई संबंध नहीं है। सामान्यता यह दर्द आपको पहली बार मासिक धर्म शुरू होने के 6 महीने या साल भर के अंदर शुरू हो जाता है।
इस दौरान पेट के निचले हिस्से में और कभी-कभी जांघ या पीठ में भी दर्द का एहसास होता है। हालांकि यह दर्द पीरियड्स में एक या दो दिन पहले शुरू होकर कुछ दिनों तक रहता है। वहीं कुछ महिलाओं में यह ज्यादा समय तक भी रह सकता है। आमतौर पर पीरियड्स के शुरुआती दौर में इस तरह का दर्द होता है इसके बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ती हैं दर्द भी कम होता जाता है। वहीं महिलाओं में कई बार यह दर्द बच्चे को जन्म देने के बाद ठीक भी हो जाता है।
2. सेकेंडरी डिसमेनोरिया - इस तरह के दर्द का कारण गर्भाशय या अन्य प्रजनन अंगों से जुड़ी समस्याओं को माना जा सकता है; जैसे एंडोमेट्रियोसिस, जिसमें एंडोमेट्रियल उत्तक गर्भाशय के बाहर फैलने लगते हैं और गर्भाशय फाइब्रॉएड यानी गर्भाशय का बिना कैंसर वाला ट्यूमर। एंडोमेट्रियोसिस के कारण होने वाले दर्द आपको मासिक चक्र के बीच में महसूस होते हैं और पीरियड शुरू होने के एक हफ्ते पहले यह दर्द बढ़ जाता है। कभी-कभी इस दर्द की वजह से कब्ज की शिकायत भी हो सकती हैं।
पीरियड्स के समय दर्द के कारण
पीरियड्स का समय महिलाओं के लिए बहुत मुश्किलों भरा होता है। पीरियड्स में पेट, कमर और ऐंठन जैसी परेशानियां होती है। आप सोच रहे होंगे कि पीरियड्स में कमर दर्द क्यों होता है?, पीरियड्स में पेट दर्द क्यों होता है? इन समस्याओं के अन्य कई कारण भी है।
यहां हम आपको पीरियड्स में पेट में दर्द क्यों होता है? इन्हीं कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं -
- पीरियड्स के दौरान जरूरत से ज्यादा रक्तस्राव या फिर ठीक तरह से रक्तस्राव का ना होना भी दर्द का कारण हो सकता है।
- पीरियड के दौरान हार्मोन्स में होने वाले बदलाव भी इन दर्द का कारण बन सकते हैं।
- गलत खानपान के कारण शरीर में पोषक तत्व की कमी हो जाती है जिससे भी पीरियड के दौरान दर्द की समस्या हो सकती हैं।
- कई महिलाओं को पहली गर्भावस्था के बाद भी पीरियड के दौरान दर्द की समस्या हो सकती हैं।
- कभी-कभी पीरियड्स के समय खाली पेट रहने से भी पेट में दर्द की समस्या हो जाती है।
- किसी तरह के संक्रमण के कारण भी मासिक धर्म के समय दर्द हो जाता है।
- कई बार कम उम्र या ज्यादा उम्र भी मासिक धर्म के समय दर्द का कारण बनती है।
- पीरियड्स के दौरान महिलाओं को गैस की परेशानी भी होती है और यह गैस भी इस पीरियड के दौरान दर्द की वजह होती है।
- शरीर में खून की कमी भी मासिक धर्म के समय दर्द का एक कारण है।
पीरियड्स आने के लक्षण
मासिक धर्म की अवधि शुरू होने से पहले महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होने लगते हैं जो इस बात का संकेत देते हैं कि पीरियड शुरू होने वाले हैं। हम कुछ ऐसे ही पीरियड्स आने से पहले के लक्षण के बारे में आपको बता रहे हैं-
1. पेट में दर्द - अधिकतर महिलाओं को माहवारी आने के 3 से 5 दिन पहले ही कमर या पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है। जैसे ही पीरियड्स शुरू हो जाते हैं यह दर्द थोड़ा कम हो जाता है लेकिन कई महिलाओं को यह दर्द पीरियड के दौरान भी बना रहता है।
2. थकावट महसूस होना - पीरियड्स के लक्षण में कुछ महिलाओं को थकान का अनुभव होता है। इस समय हार्मोन का स्तर कम हो जाता है जिससे थकान होती है। महिलाएं हर समय खुद को बहुत कमजोर महसूस करने लगती हैं। हार्मोन्स में बदलाव के कारण ठीक से नींद भी नहीं आती और नींद ना पूरी होने की वजह से शरीर में थकावट महसूस होती है।
3. सिर दर्द - हार्मोनल स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण सिर दर्द या माइग्रेन होता है। यह दर्द पीरियड्स से पहले या पीरियड्स के दौरान तुरंत बाद भी हो सकता है।
4. ब्रेस्ट में दर्द या भारीपन - ब्रेस्ट में स्तन ग्रंथियां इस समय बढ़ जाती हैं और सूज जाती हैं जिसके कारण उनमें दर्द और भारीपन महसूस होता है। यह चक्रीय स्तन दर्द होता है जो हर महीने के पीरियड से जुड़ा होता है। पीरियड्स शुरू होने के कुछ दिनों बाद तक आप इस दर्द को अनुभव कर सकते हैं।
5. सूजन का आना - अगर आपको पीरियड के शुरू होने से पहले पेट भारी लग रहा है या मोटा लग रहा है तो इसका कारण है एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में बदलाव। इससे शरीर सामान्य से ज्यादा पानी और नमक बनाता है और पेट फूला हुआ लगता है। इस लक्षण से पीरियड शुरू होने के 2 से 3 दिन बाद राहत मिल पाती है।
6. ऐंठन - माहवारी शुरू होने से पहले पेट में ऐंठन सी महसूस होती है। यह पीरियड की अवधि से पहले या उसके दौरान होती हैं। यदि यह पहले होती है तो 2 से 3 दिन तक रहती है या पीरियड शुरू होने पर यह खत्म भी हो जाती है।
7. मूड स्विंग - पीरियड्स के लक्षणों में मूड में बदलाव भी महिलाओं में देखे जाते हैं। इसमें महिलाएं चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन और चिंता का अनुभव करती हैं। इस समय महिलाएं बिना किसी वजह के गुस्सा, खुशी, कभी दुखी व कभी चिड़चिड़ापन महसूस करती हैं।
8. मुहांसों का होना - पीरियड्स शुरू होने से 5-6 दिन पहले ही महिलाओं को चेहरे पर मुहांसों की समस्या हो जाती है। यह समस्या हार्मोन्स में बदलाव की वजह से होती है। हार्मोन का स्तर बढ़ने से तेल (सीबम) का उत्पादन अधिक होने लगता है यह चेहरे के छिद्रों को बंद कर देता है। इससे चेहरे पर मुहांसे हो जाते हैं।
पीरियड्स के दर्द के घरेलू उपचार
पीरियड्स के समय होने वाली परेशानियों के इलाज के लिए आप कुछ घरेलू उपचारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको आपके रसाई घर से ही पीरियड्स में होने वाले पेट के निचले हिस्से में दर्द के उपाय मिल जाएंगे जिनका इस्तेमाल करके आप पीरियड्स में दर्द का इलाज कर सकते हैं। आज हम आपको इन्हीं कुछ उपायों के सेवन करने का तरीका बता रहे हैं-
- हर्बल टी - आप सोच रहे होंगे कि हर्बल टी से पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें?
तो आपको बता दें कि हर्बल टी पीरियड्स में दर्द का एक बढ़िया घरेलू इलाज है। हर्बल टी जैसे कैमोमाइल टी या ग्रीन टी। ग्रीन टी में एनाल्जेसिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद हैं जो सूजन व मांसपेशियों के दर्द से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाने का एक प्राकृतिक उपाय है। कैमोमाइल को तो एक एंटीस्पास्मोडिक के रूप में भी जाना जाता है जो गर्भाशय की मांसपेशियों को आराम देने में भी मदद करता है। आप हर्बल टी का सेवन दिन में 2 से 3 बार कर सकते हैं।
- पपीता - कई बार पीरियड के दौरान ठीक तरीके से ब्लड फ्लो ना होने के कारण भी पेट में दर्द, ऐंठन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में पपीते के सेवन से अपने पीरियड के ब्लड फ्लो में सुधार कर सकते हैं और पीरियड्स के दर्द से राहत भी पा सकते हैं। कई बार पोषक तत्वों की कमी के कारण भी मासिक धर्म के समय दर्द की समस्या हो सकती हैं। लेकिन ऐसे में पपीते में मौजूद विटामिन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, एंटीऑक्सीडेंट गुण और अन्य पौष्टिक तत्व पीरियड के दर्द से राहत दिला सकते हैं। इसके लिए आप हर रोज या हर दूसरे दिन पपीते का सेवन कर सकते हैं। आप पपीते की सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं।
- एलोवेरा जूस - एलोवेरा का जूस भी पीरियड्स के दर्द के उपाय में से एक है। एलोवेरा में एंटी- इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। पीरियड के दर्द को कम करने के लिए भी कई बार एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती हैं। इस तरह एलोवेरा जो एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है, मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द में आराम दिला सकता है। पीरियड्स शुरू होने से पहले रोज दिन में एक बार एलोवेरा जूस का सेवन करें।
- दालचीनी - दालचीनी भी पीरियड्स के दर्द से छुटकारा पाने के उपाय में से एक है। दालचीनी बेहतर घरेलू नुस्खे में से एक है जिसमें भी एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं जो पीरियड्स के समय होने वाले दर्द को कम करने के अलावा अत्यधिक रक्तचाप की समस्या को भी कम करने में सहायक हैं। एक गिलास पानी में दालचीनी पाउडर डालकर पानी को उबालें। जब पानी उबलकर थोड़ा बच जाए तो इसमें शहद मिलाकर इस पानी का सेवन करें। आप दालचीनी पाउडर की जगह साबुत दालचीनी का उपयोग भी कर सकते हैं। अगर आप अनियमित पीरियड की समस्या से परेशान हैं तो गर्म दूध में दालचीनी मिलाकर सेवन करें। इससे जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा।
- सेंधा नमक - सेंधा नमक को मैग्निशियम सल्फेट के रूप में जाना जाता है। जब त्वचा के माध्यम से सेंधा नमक अवशोषित होता है तो यह पीरियड्स में कमर दर्द का इलाज करने में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें एनाल्जेसिक यानी दर्दनाशक गुण मौजूद हैं। ऐसे में पीरियड्स में पेट दर्द की दवा के रूप में सेंधा नमक का उपयोग किया जा सकता है। आप नहाने के गुनगुने पानी में एक या दो कप सेंधा नमक डालकर उस पानी से नहाएं। पीरियड्स शुरू होने के 2 से 3 दिन पहले से इस नमक के पानी से नहाना शुरू कर दें। ऐसा करने से आपको इस दौरान होने वाले दर्द से राहत मिलेगी।
- मेथी दाना - यदि आप भी जानना चाहते हैं कि पीरियड्स में ज्यादा दर्द होने पर क्या करें? तो हम आपको बता दें कि पीरियड्स के दर्द के उपाय में मेथी दाना भी एक बढ़िया नुस्खा है। इसके जरिए भी आप मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द से राहत पा सकते हैं। मेथी में एनाल्जेसिक जैसे दर्द निवारक गुण मौजूद हैं जो पीरियड के समय होने वाले दर्द को कम करने में मददगार होते हैं। यही नहीं इसके अलावा मेथी दाना पीरियड के दौरान होने वाले लक्षणों जैसे थकान, सिरदर्द, उल्टी में भी राहत पहुंचाते हैं। रात को एक गिलास पानी में दो चम्मच मेथी दाने भिगोकर रख दें फिर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। पीरियड्स शुरू होने से कुछ दिन पहले से इसका सेवन शुरू कर दें। आप चाहें तो मेथी पाउडर का भी सेवन कर सकते हैं।
- नींबू का रस - नींबू का रस भी पीरियड्स में पेट दर्द कम करने के उपाय में से एक है। पीरियड्स के दर्द के निवारण के लिए एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयों के सेवन की सलाह दी जाती है। वहीं नींबू में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। ऐसे में यदि आप नींबू के रस का सेवन करते हैं तो आप पीरियड्स के समय होने वाले दर्द में राहत पा सकते हैं। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में आधे नींबू का रस मिलाकर हर रोज सुबह खाली पेट नींबू के रस का सेवन करें। आप इसमें शहद भी मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
- तुलसी - पीरियड्स दर्द के उपाय के तौर पर तुलसी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। यह तो हम सब जानते ही हैं कि तुलसी कई औषधीय गुणों से समृद्ध होती है। एक शोध में यह भी पाया गया है कि इसमें एनाल्जेसिक जैसे दर्द निवारक गुण भी मौजूद हैं इसलिए तुलसी का सेवन पीरियड के समय दर्द से राहत पाने में लाभकारी हो सकता है। इसके लिए एक गिलास पानी में तुलसी के पत्तों को डालकर उबालें जब पानी अच्छी तरह से उबल जाए तो इसमें शहद डालकर सेवन करें। पीरियड्स के दौरान दो से तीन बार तुलसी के पत्तों से बनी चाय का भी सेवन आप कर सकते हैं।
- अजवाइन - पीरियड्स के समय अक्सर महिलाओं को गैस की समस्या ज्यादा हो जाती है। गैस की समस्या के कारण भी पेट में दर्द होता है जिसे दूर करने के लिए आप अजवाइन का इस्तेमाल कर सकते हैं। पीरियड्स के दर्द के उपाय के लिए अजवाइन एक अच्छा विकल्प है। आधा चम्मच अजवाइन में आधा चम्मच नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से पीरियड्स के दर्द में तुरंत राहत मिलती है।
- अदरक - अदरक में मौजूद एनाल्जेसिक गुण के प्रभाव के कारण यह पीरियड के दौरान होने वाली ऐंठन और दर्द से राहत दिलाने का काम करता है। इसी गुण की वजह से मासिक धर्म के समय यदि अदरक का इस्तेमाल किया जाए तो यह इस समय होने वाले दर्द से राहत दिलाने में बहुत लाभकारी होता है। इसके लिए आप अदरक के टुकड़े को गर्म पानी में 10 मिनट के लिए डालें फिर उसे ठंडा होने दें, अब इसे छानकर इसमें शहद मिलाकर चाय की तरह इसका सेवन करें। इसका सेवन दिन में दो से तीन बार किया जा सकता है।
- जीरा - पीरियड्स में होने वाले दर्द से निपटने के लिए आप जीरे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। एक गिलास पानी में जीरे को उबाल लें और फिर उसे ठंडा करके छानकर इसका सेवन करें। इसके अलावा आप खाने में भी जीरे का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- लैवेंडर ऑयल - लैवंडर ऑयल में एनाल्जेसिक जैसे दर्द निवारक गुण मौजूद होते हैं जिसके कारण मासिक धर्म के समय होने वाली ऐंठन और दर्द से राहत दिलाने में यह काफी असरदार है। यदि पीरियड के दर्द को कम करना चाहते हैं तो आप लैवंडर के तेल को पीरियड्स के दर्द के उपाय के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। लैवेंडर ऑयल में नारियल या जोजोबा ऑयल को मिलाएं। अब इस मिश्रण को पेट के निचले हिस्से और पीठ पर लगाएं। इस तरह दिन में दो बार मालिश करने से आपको इस दौरान होने वाले दर्द में राहत मिल सकती है।
- गर्म सिकाई - पीरियड्स के समय यदि पेट के निचले हिस्से और कमर के दर्द से राहत पाने के लिए गर्म पानी से सिकाई की जाए तो बहुत फायदा होता है। सिकाई करने से गर्भाशय की संकुचित कोशिकाओं को आराम मिलता है और धीरे-धीरे दर्द कम हो जाता है।
पीरियड्स के समय होने वाले दर्द से बचाव के उपाय
पीरियड्स के समय होने वाले कमर दर्द, पेट दर्द और ऐंठन से बचाव के लिए कई महिलाएं सोचती होंगी कि पीरियड में दवा खाना चाहिए कि नहीं? तो हम आपको बता दें कि कई महिलाएं पीरियड के दौरान इन परेशानियों से बचने के लिए पेन किलर का इस्तेमाल करती हैं लेकिन यह पेन किलर उनके शरीर के लिए नुकसानदायक है। इन पेन किलर की जगह यदि घरेलू उपचारों को आजमाया जाए तो वह ज्यादा सही है। वहीं यदि घरेलू उपचारों के साथ-साथ अगर कुछ खास बातों का ध्यान भी आप रखती हैं तो पीरियड के समय होने वाले दर्द को कम करने में आप अपनी खुद की मदद कर सकती हैं।
तो आइए पीरियड्स के समय होने वाले दर्द से बचाव के कुछ उपाय जानते हैं -
- पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि मासिक धर्म के समय शरीर की पोषण संबंधी जरूरतें बदल जाती हैं। कई बार सही डाइट ना लेने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते और इन्हीं पोषक तत्वों की कमी से पीरियड के दौरान दर्द और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- पीरियड्स के समय सब्जियों के साथ-साथ फलों का भी सेवन करना चाहिए। यदि आप फल नहीं खाना पसंद करते हैं तो आप फलों के जूस का भी सेवन कर सकते हैं।
- जितना हो सके मासिक धर्म के समय तनाव मुक्त रहें क्योंकि तनाव से भी दर्द और ऐंठन जैसी समस्या हो सकती हैं।
- पीरियड के समय होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए आप नियमित व्यायाम या योगा का सहारा भी ले सकते हैं जिसके लिए आप किसी विशेषज्ञ की राय ले सकते हैं।
- पीरियड के दौरान होने वाले दर्द से राहत दिलाने में गर्म पानी काफी लाभ पहुंचाता है तो पीने के लिए गर्म पानी का सेवन करें और गर्म पानी से सिकाई भी करें। इससे दर्द में लाभ होगा।
- पीरियड के समय साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। हर कुछ घंटों में पैड को बदलते रहें।
- तली-भुनी चीजों का और मसालेदार भोजन का सेवन ना करें।
- चाय कॉफी का सेवन जरूरत से ज्यादा ना करें।
- जंक-फूड का सेवन ना करें।
- शराब का सेवन व धूम्रपान ना करें।
- इसके अलावा सुबह शाम कुछ देर टहलें।
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