आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में असंतुलित खानपान की वजह से हमारा शरीर कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इनमें से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या भी एक है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर में गड़बड़ होने से हृदय रोग व हाई बीपी जैसी कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं। कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए हम कई दवाओं का सहारा भी लेते हैं लेकिन इस कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए दवाओं के साथ यदि हम अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करें और कुछ घरेलू उपायों का इस्तेमाल करें तो भी हम इस समस्या से बच सकते हैं। चलिए आज इस लेख में हम कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज जानेंगे और इसके कारण और लक्षणों पर भी चर्चा करेंगे।
आइए पहले जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल क्या है? कोलेस्ट्रॉल एक तरह का वसायुक्त तत्व है जो रक्त के साथ धमनियों में बहकर कोरोनरी धमनियों में प्लेक्स को बनाता है जिस कारण रक्त का संचरण किसी निश्चित जगह पर या तो धीमा हो जाता है या पूरी तरह बंद हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल कई गंभीर बीमारियों जैसे हार्ट ब्लॉकेज, हार्ट अटैक और स्ट्रोक की जड़ है। हमारे शरीर में 30%
कोलेस्ट्रॉल जो हम भोजन करते हैं उससे आता है बाकी का कोलेस्ट्रॉल हमारा लीवर बनाता है। कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। यह हमारे शरीर में पोषक तत्व, स्वस्थ कोशिकाओं, विटामिंस और हार्मोन को पैदा करता है। संतुलित मात्रा में कोलेस्ट्रॉल हमारे स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है लेकिन जब लीवर ज्यादा कोलेस्ट्रॉल बनाने लगे तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या कहते हैं और यह कोलेस्ट्रॉल की अत्यधिक मात्रा हमारे शरीर में कई गंभीर रोगों को जन्म देती है।
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार
कोलेस्ट्रॉल को दो भागों में बांटा जा सकता है:
1. लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) - इसे बैड कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जाना जाता है। इस कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है। कोलेस्ट्रोल का यह प्रकार धमनियों को ब्लॉक करने का मुख्य स्रोत है। इस कोलेस्ट्रॉल की वजह से कई अन्य बीमारियों का खतरा भी बना रहता है।
2. हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) - इसे गुड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। यह खराब कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल को कम करने में मदद करता है। इस कोलेस्ट्रॉल का स्तर यदि सामान्य रहे तो हृदय रोगों का जोखिम कम हो सकता है।
हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए? यह सवाल हर किसी के मन में आता होगा। तो हम आपको बताते हैं कि एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कितनी होनी चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 मि.ग्राम/डीएल से कम, एचडीएल 60मि.ग्राम/डीएल से अधिक और एलडीएल 100 मि.ग्राम/डीएल से कम होना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण
कई लोग यह नहीं जानते होंगे कि कोलेस्ट्रॉल कैसे बढ़ता है? तो हम आपको बता दें कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का एक मुख्य कारण असंतुलित खानपान और खराब दिनचर्या है। इन कारणों के अलावा और भी कई कारण हैं जो कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं। तो आइए इन कारणों पर एक नजर डालते हैं -
असंतुलित खानपान - संतृप्त वसा का शरीर में पूरी तरह से इस्तेमाल होने पर भी हाई कोलेस्ट्रॉल पैदा हो सकता है। संतृप्त वसा ऐसे भोजन में पाया जाता है जिसमें फैट ज्यादा होता है। अगर आप कोलेस्ट्रॉल को कम करने के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले आप रेड मीट, मक्खन, पनीर, घी, आदि वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम कर दें। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने का सबसे आसान और कारगर उपाय है।
शराब - शराब का सेवन लीवर और हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है जोकि हाई ब्लड प्रेशर का भी कारण बनता है और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को भी बढ़ाता है।
तनाव - आज के समय में हर कोई तनावग्रस्त जीवन जी रहा है और तनाव में लोग अक्सर स्मोकिंग, शराब और फैटी खाने का सेवन अधिक करने लगते हैं। लंबे समय तक तनाव में रहने के कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है।
वंशानुगत कारण - यदि आपके परिवार में किसी करीबी को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो यह आपके लिए भी एक चिंता का विषय है क्योंकि यह वंशानुगत हाई कोलेस्ट्रॉल भी समय से पहले ब्लाकेज और स्ट्रोक का कारण बनता है।
कोलेस्ट्रॉल के लक्षण
कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना एक गंभीर समस्या होती है। कोलेस्ट्रॉल एक फैट जैसा पदार्थ है जो लीवर के द्वारा बनाया जाता है। लिपोप्रोटीन की मदद से कोलेस्ट्रॉल शरीर में प्रवाह करता है। लिपोप्रोटीन रक्त प्रवाह के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल को सर्कुलेट करने में मदद करता है। लेकिन कभी-कभी शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। इस कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर कई तरह की गंभीर समस्याएं जन्म लेती हैं लेकिन शुरुआत में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण नजर आते हैं । यहां आज हम इन्हीं कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और उपाय के बारे में जानेंगे।
सांस फूलना - यदि थोड़ा काम करने के बाद ही आपकी सांस फूलने लगती हैं तो यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है। वैसे तो सांस फूलने, थकावट होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अगर आपको ऐसा ज्यादा हो रहा है तो आपको कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर करवानी चाहिए। यदि आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है तो आप ज्यादा काम किए बिना भी थकावट महसूस करने लगते हैं।
वजन बढ़ना - यदि बिना किसी खास वजह के आपका वजन अचानक ही बढ़ रहा है तो यह आपके बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है। साथ ही आपके पेट में हमेशा भारीपन महसूस होता है और आपको सामान्य से ज्यादा पसीना आता है तो भी आपको अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच करवानी चाहिए।
सिर दर्द - अगर आप अक्सर सिरदर्द से परेशान रहते हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल के कारण जब सिर की सभी नसों में सही से ब्लड सप्लाई नहीं हो पाता तो सिर दर्द की समस्या होती है। बढ़े कोलेस्ट्रॉल के कारण सिर में दर्द और चक्कर आने या संवेदना खोने जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
ज्यादा पसीना आना - किसी भी मौसम में जरूरत से ज्यादा पसीना आना हाई कोलेस्ट्रॉल का एक मुख्य लक्षण है। अगर आप भी ज्यादा पसीना आने की समस्या का सामना कर रहे हैं तो अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं।
सीने में दर्द - कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है इसलिए अगर आपको सीने में दर्द, बेचैनी, या दिल बहुत जोर-जोर से धड़कने लगे तो यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हैं। इसे बिना नजरअंदाज किए तुरंत अपने चिकित्सक से जांच करवाएं और अपने कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करें
त्वचा के रंग में बदलाव - हमारी त्वचा पर भी कोलेस्ट्रॉल का असर होता है। कोलेस्ट्रॉल स्तर के बढ़ने पर त्वचा के रंग में बदलाव नजर आ सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होने पर आपको अपनी त्वचा पर पीले चकत्ते नजर आ सकते हैं। अगर आपको इस तरह का कोई लक्षण नजर आए तो सावधान हो जाएं।
क्रैंप्स - कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने पर शरीर के निचले अंगों की आर्टरीज़ को बहुत नुकसान पहुंचता है। जिसकी वजह से रात को सोते समय पैरों, जांघों, कूल्हों और पंजों में क्रैंप्स या ऐंठन महसूस होती है तो यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का लक्षण है। यदि आप भी रात में ऐसे क्रैंप्स महसूस करते हैं तो ऐसी स्थिति में आप अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर करवाएं।
कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय
यदि आप सोच रहे हैं कि कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें? तो हम यहां आपको बताना चाहेंगे कि कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए वैसे तो हम कई दवाइयों का सेवन करते हैं। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि हमारे आयुर्वेद में भी कई ऐसी चीजें मौजूद हैं जिसके सेवन से हम कोलेस्ट्रोल का इलाज कर सकते हैं। आयुर्वेद में कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज मौजूद है। आइए आज हम इन्हीं घरेलू उपायों के बारे में जानते हैं।
आंवला - आंवले का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने के लिए भी आप आंवले का सेवन कर सकते हैं। आंवला में विटामिन सी भरपूर होने के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं। इसके अलावा इसमें हाइपोलिपिडेमिक गुण भी पाया जाता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को शरीर में बढ़ाता है। इसलिए कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए आप आंवले का सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं।
लहसुन - आप लहसुन का इस्तेमाल सब्जी या चटनी बनाने में अक्सर ही करते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि लहसुन कोलेस्ट्रोल कम करने का रामबाण इलाज है। एक शोध में यह स्पष्ट साबित हुआ है कि लहसुन का अर्क संपूर्ण लिपिड प्रोफाइल को ठीक करने में मदद कर सकता है जिसमें कोलेस्ट्रॉल भी शामिल है। लहसुन बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है और यह इसको नियंत्रित करने में आपकी मदद करता है।
नारियल तेल - हमारी सेहत के लिए नारियल का तेल बहुत फायदेमंद होता है। कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए भी आप वर्जिन कोकोनट ऑयल का सेवन कर सकते हैं। इसमें लोरिक एसिड की मात्रा पाई जाती है जो अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है। वर्जिन कोकोनट ऑयल लिपिड प्रोफाइल को भी ठीक कर सकता है। नारियल तेल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मददगार है। इसका इस्तेमाल आप खाना बनाने में कर सकते हैं।
प्याज - हम सभी प्याज का इस्तेमाल अपने भोजन को बनाते समय उसके स्वाद को बढ़ाने के लिए करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए भी प्याज का इस्तेमाल किया जा सकता है। विशेषकर लाल रंग के प्याज को कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए लाभकारी बताया गया है। इसके अलावा सूखे हुए प्याज में हाइपोलिपिडेमिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि प्याज का सेवन आप किसी भी रूप में करें यह आपके कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में आपकी मदद जरूर करेगा।
संतरे का रस - आयुर्वेद में संतरे के रस को कोलेस्ट्रोल का इलाज करने के लिए औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। संतरे में मौजूद विटामिन सी और फोलेट की वजह से इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। साथ ही संतरा हाइपोलिपिडेमिक गुणों से भी भरपूर है। संतरे में पाए जाने वाले यह गुण खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बनाने में मदद करते हैं इसलिए संतरे के रस के इस्तेमाल से आप कोलेस्ट्रॉल से बचे रह सकते हैं। अब से रोज अपने नाश्ते में इस फल का सेवन करना शुरू करें और कोलेस्ट्रॉल से दूर रहें।
धनिया - धनिये का इस्तेमाल सिर्फ मसाले के रूप में ही नहीं किया जाता बल्कि धनिया पाउडर कोलेस्ट्रॉल कम करने का एक रामबाण इलाज भी है। शोध में पाया गया है कि धनिये का इस्तेमाल करने से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है। धनिया में मौजूद हाइपोलिपिडेमिक, हाइपोकोलेस्ट्रॉलमिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण कोलेस्ट्रॉल कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए सब्जी बनाते समय धनिया का इस्तेमाल अवश्य करें।
दही - दही में लैक्टोबैसिल्स एसिडोफिल्स और बीफिदोबैक्टेरियम लैक्टिस तत्व मौजूद होते हैं। यह दोनों ही तत्व रक्त में मौजूद बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए बेहद फायदेमंद है। यदि आप अपने कोलेस्ट्रोल का इलाज करना चाहते हैं तो दिन भर में एक कटोरी दही का सेवन अवश्य करें।
नींबू - नींबू भी आपको कोलेस्ट्रॉल की समस्या से निजात दिला सकता है। नींबू के संबंध में एक शोध में पाया गया है कि इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा नींबू सीरम कोलेस्ट्रॉल, ट्रिगलिसेराइड्स और लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन के स्तर को भी कम कर सकता है इसलिए कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में आप नींबू रस के फायदों का लाभ उठा सकते हैं।
अलसी के बीज - अलसी के बीजों को आप कोलेस्ट्रॉल की आयुर्वेदिक दवा भी कह सकते हैं। अलसी के बीज में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद फाइबर टोटल कोलेस्ट्रॉल और लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आप अलसी के बीजों का पाउडर बनाकर अपने सलाद में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
ग्रीन टी - ग्रीन टी कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज है। कई लोग इसे नियंत्रित करने के लिए ग्रीन टी का सहारा लेते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं और यह गुण रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में बहुत मददगार है, साथ ही ग्रीन टी का एंटीऑक्सीडेंट गुण हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन के स्तर को बढ़ाने में भी सहायक माने जाते हैं। दिन में दो कप ग्रीन टी का सेवन आप कोलेस्ट्रॉल की परेशानी से निजात पाने के लिए कर सकते हैं।
अंगूर - अंगूर एक ऐसा फल है जिसके जूस का सेवन करके आप बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। इसमें रेसवेरेट्रॉल, फेनोलिक एसिड, एन्थोंकायनिन और फ्लेवोनॉयड जैसे पॉलीफेनोल्स तत्व पाए जाते हैं। यह बतौर एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में काम करते हैं जिनकी मदद से अंगूर के जूस का सेवन करके हम कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। अंगूर के जूस को आप दोपहर या शाम कभी भी पी सकते हैं।
चिया सीड्स - कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करके हृदय रोगों से बचाव करने में चिया सीड्स आपकी मदद कर सकते हैं। चिया सीड्स कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज है। इसमें मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सक्षम होते हैं। यह गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को हमारे शरीर में बढ़ाने में भी सहायक है। आप चिया सीड्स का उपयोग भिगोकर, दही के साथ या फिर आप इसका पाउडर बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।
मछली का तेल - मछली के ऑयल को बालों और त्वचा के लिए गुणकारी माना जाता है साथ ही मछली का तेल कोलेस्ट्रॉल के इलाज में भी औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। मछली के तेल में पाए जाने वाला ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करके गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में सक्षम हैं। मछली के तेल का इस्तेमाल आप भोजन बनाने में करें। यदि आपको इसका स्वाद पसंद ना आए तो आप मार्केट में उपलब्ध मछली के तेल के कैप्सूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। ध्यान रहे इनका इस्तेमाल आप डॉक्टर की सलाह से ही करें।
ओट्स - ओट्स में बीटा ग्लूकन नामक तत्व पाया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में बेहद फायदेमंद है। यदि हर रोज 3 ग्राम बीटा ग्लूकन का सेवन किया जाए तो बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम किया जा सकता है। साथ ही यह हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में भी कारगर है। इसका इस्तेमाल आप नाश्ते में सुबह दूध के साथ करें।
अर्जुन की छाल - अर्जुन की छाल को आयुर्वेद में कई बीमारियों से निजात पाने की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है जैसे बीपी, हृदय रोगों, कैंसर, मोटापा, आदि। इसी तरह अर्जुन की छाल कोलेस्ट्रॉल की समस्या से निजात दिलाने में भी लाभकारी हैं। अर्जुन की छाल को कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज कहा जा सकता है। अर्जुन की छाल में हाइपोलिपिडेमिक पाया जाता है जो शरीर में लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है। अर्जुन की छाल के सेवन से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। यह हमारी बॉडी से एक्स्ट्रा फैट को भी कम करता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए क्या खाना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में आपका खान-पान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए और उसे नियंत्रित करने के लिए आपको किन चीजों का सेवन करना चाहिए। आइए इस बारे में जानते हैं-
ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त चीजों का सेवन करें- ओमेगा 3 फैटी एसिड बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के साथ ही गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड के लिए आप मछली का तेल, अलसी का तेल, चिया सीड्स, अखरोट, सोयाबीन और टोफू अपनी डाइट में शामिल करें।
फलों और सब्जियों का ज्यादा सेवन करें - फल के साथ सब्जियां भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले तत्वों को बढ़ाते हैं। फल और सब्जियों में फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं और ये फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।
फाइबर युक्त चीजों का सेवन करें - घुलनशील फाइबर युक्त पदार्थों का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल को काम करने में फाइबर युक्त चीजें जैसे साबुत अनाज, दलिया और जई आपकी मदद कर सकते हैं। इसके अलावा फलों में आप संतरा और नाशपाती का सेवन करके भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ने से रोक सकते हैं। साथ ही दाल, छोले और बींस भी फाइबर के अच्छे स्रोत है।
कोलेस्ट्रॉल में क्या नहीं खाना चाहिए
जिस तरह अपने खानपान में कुछ चीजों को शामिल करके आप अपने कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं उसी तरह कुछ चीजों का सेवन ना करके आप बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर क्या न खाएं आइए इस पर चर्चा करें-
अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थों से बचें - 1 दिन में 200 मिलीग्राम से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल का सेवन नहीं करना चाहिए और ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए जिनमें अत्यधिक मात्रा में वसा हो जैसे रेड मांस, अंडे की जर्दी, झींगा मछली और डेयरी उत्पाद।
शराब का सेवन ना करें - यदि आप शराब का सेवन करते हैं तो इसका सेवन करना बंद कर दें। शराब कैलोरी बढ़ाती है जिसकी वजह से वजन बढ़ता है और वजन बढ़ने से लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन का स्तर भी बढ़ने लगता है। यह मोटापा आपके गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करता है। शराब ना सिर्फ कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है बल्कि साथ ही दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ाती है।
नमक का इस्तेमाल कम करें - नमक में सोडियम होता है और सोडियम की मात्रा को अपने शरीर में सीमित करने की कोशिश करनी चाहिए। एक दिन में लगभग एक चम्मच नमक से अधिक नहीं खाना चाहिए। नमक की सीमित मात्रा आपको हृदय रोगों और हाई बीपी के जोखिम से बचाती है।
कोलेस्ट्रॉल से बचाव के तरीके
वजन को नियंत्रित रखें - कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचने के लिए आपको अपना बढ़ता हुआ वजन नियंत्रित करना चाहिए। मोटापा कोलेस्ट्रोल के बढ़ने के लक्षणों में से एक है। इससे बचने के लिए आपको ज्यादा वसा वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
व्यायाम और योग - रोजमर्रा की जिंदगी में यदि आप व्यायाम और योग को जगह दें तो यह ना सिर्फ आपको मोटापे से बचाएगा बल्कि आप के बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करने में आपकी मदद करेगा। बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए आप किसी एक्सपर्ट की सलाह से कोलेस्ट्रॉल कम करने की एक्सरसाइज कर सकते हैं।
धूम्रपान ना करें - धूम्रपान बढ़ते कोलेस्ट्रॉल का एक कारण है। धूम्रपान करने से स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है इसलिए कोलेस्ट्रॉल और इससे जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए कोशिश करें कि धूम्रपान ना करें।
Namhya से खरीदें हार्ट टी पाउडर
यदि आप भी बढ़ते कोलेस्ट्रॉल की समस्या से जूझ रहे हैं तो आप Namhya की हार्ट टी पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। Namhya हार्ट टी पाउडर हृदय जोखिमों को कम करता है। ह्रदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। Namhya हार्ट टी का मुख्य घटक अर्जुन की छाल है।
अर्जुन की छाल में मौजूद गुण आपको हृदय रोगों और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से निजात दिला सकते हैं। हार्ट टी पाउडर 100% नेचुरल है जिसे आप Namhya की वेबसाइट से ऑनलाइन घर बैठे ऑर्डर कर सकते हैं।