कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो महिलाओं को ज्यादा अपना शिकार बनाती हैं, इनमें से एक है थायराइड। हार्मोन असंतुलन, तनाव, शरीर में आयोडीन की कमी, वायरल संक्रमण आदि के कारण महिलाओं में थायराइड की समस्या पैदा हो जाती है। कई बार महिलाएं इस समस्या को अनदेखा कर देती है।
महिलाओं में थायराइड ग्रंथि बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह शरीर के अधिकतर हार्मोन्स को नियंत्रित करती है। थायराइड ग्रंथि में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर हार्मोन असंतुलन हो सकते हैं, इसलिए महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है कि वह थायराइड की समस्या को अनदेखा ना करें। थायराइड महिलाओं को कई तरह से प्रभावित करता है। आज इस लेख में हम महिलाओं में थायराइड के कारण के बारे में जानेंगे।
आइए सबसे पहले जानते हैं कि थायराइड क्या है? थायराइड गले में आगे की तरफ मौजूद एक ग्रंथि होती है जो तितली के आकार की होती है। यह ग्रंथि शरीर की कई जरूरी गतिविधियों को नियंत्रित करती है जैसे कि भोजन को ऊर्जा में बदलना, आदि। थायराइड टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और टी4 यानी थायरॉक्सिन नाम के दो हार्मोन का निर्माण करता है।
यह हार्मोन दिल की धड़कन, सांस, पाचन तंत्र, हड्डियों, मांसपेशियों, शरीर के तापमान और कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रखने में मदद करते हैं। जब इन दोनों हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है तो इसे ही थायराइड की समस्या कहते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती हैं।
थायराइड के प्रकार
थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन के असंतुलित होने की वजह से होने वाली यह समस्या दो प्रकार की होती है, पहली हाइपोथायराइड और दूसरी हाइपरथायराइड। दोनों ही समस्या अलग-अलग प्रकार की हैं और दोनों की अवस्थाएं भी अलग-अलग होती हैं। इन दोनों प्रकार के लक्षण भी अलग होते हैं। आइए थायराइड के इन प्रकारों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
1. हाइपरथायराइड
हाइपरथायराइड का एक बड़ा कारण ग्रेव्स रोग है जिसमें थायराइड ग्रंथि बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं और हार्मोन्स का उत्पादन ज्यादा करने लगती हैं। इसके कारण गोइटर जिसमें आपकी थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है जैसी समस्या हो जाती हैं। इसके अलावा नोड्यूल के कारण भी यह स्थिति पैदा हो सकती हैं। नोड्यूल की स्थिति में आपकी गर्दन पर गांठदार गंडमाला जैसी स्थिति बन जाती है। कुछ मामलों में आयोडीन का ज्यादा सेवन भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हो सकता है। वहीं थायराइडिसिस रोग के कारण भी यह परेशानी हो सकती है।हाइपरथायराइड के लक्षण
- सांस लेने में तकलीफ होना और अचानक धड़कन का बढ़ जाना
- कमजोरी और थकान महसूस होना
- संतुलित आहार लेने के बाद भी वजन का तेजी से घटना
- हाथ पैर के नाखूनों का बहुत ज्यादा मुलायम या नरम हो जाना
- बहुत ज्यादा गर्मी लगना और हद से ज्यादा पसीना आना
- महावारी की समस्या
- त्वचा में खुजली और लाल धब्बे
- बालों का झड़ना
हाइपरथायराइड होने के कारण
- किसी भी प्रकार का कोई लंबा रोग इस तरह के थायराइड की एक बड़ी वजह है। इसकी वजह से थायराइड ग्रंथि से थायराइड हार्मोन का स्त्राव अधिक मात्रा में होने लगता है।
- विनाइन थायराइड ट्यूमर इसकी बड़ी वजह है, जो अनियंत्रित ढंग से थायराइड हार्मोन की बड़ी मात्रा को निकालता है।
- विषाक्त मल्टीनोड्यूलर गंडमाला एक ऐसी अवस्था है जिस कारण थायराइड ग्रंथि विनाइन थायराइड ट्यूमर की वजह से बड़ी हो जाती है और अधिक मात्रा में हार्मोन स्राव होने लगता है।
2. हाइपोथायराइड
हाइपोथायराइड तब होता है जब ग्रंथि में सूजन आ जाती है जिसे थायराइडिटिस कहा जाता है। यह थायराइड द्वारा हार्मोन के उत्पादन पर असर डाल सकता है। इसके अलावा हाशिमोटो का थायराइडिटिस जैसी ऑटोइम्यून स्थिति भी इसका एक बड़ा कारण है जिसमें आपकी शरीर की कोशिकाएं थायराइड को नुकसान पहुंचाती हैं। शरीर में आयोडीन की कमी के कारण भी थायराइड के कार्यों पर असर पड़ता है। महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद थायराइडिटिस की स्थिति भी पैदा हो सकती है।
हाइपोथायराइड के लक्षण
- मांसपेशियों में दर्द होना
- अचानक वजन का बढ़ना
- प्रजनन की समस्या
- अनियमित महावारी
- नाखूनों का खराब होना
- रूखी और बेजान त्वचा
- हृदय गति का अचानक कम होना
- थकान, चिड़चिड़ापन, हाथों का कांपना
- कब्ज या पेट की खराबी
- ज्यादा ठंड लगना
- चेहरे पर सूजन
हाइपोथायराइड होने क कारण
- वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण
- शरीर में आयोडीन की मात्रा कम होने के कारण
- अनुवांशिक कारण
- पिट्यूटरी ग्रंथि में दिक्कत होने के कारण
- दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण
महिलाओं में थायराइड के कारण
कई कारणों से महिलाओं में थायराइड की बीमारी हो जाती है जिसमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं -
महिलाओं में थायराइड के लक्षण
पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं में ज्यादा होती है। हर 8 में से 1 महिला इस रोग की चपेट में है। आइए महिलाओं में थायराइड के लक्षण जानते हैं -
1. थकान व चिड़चिड़ापन - थायराइड होने पर थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है लेकिन जरूरी नहीं कि सभी महिलाओं में ऐसा हो। थायराइड हार्मोन भोजन को पचाने का काम करता है। शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी होने की वजह से ठीक तरह से भोजन न पचने के कारण शरीर को एनर्जी नहीं मिल पाती इसलिए थायराइड से ग्रस्त महिलाओं में अक्सर थकान, सुस्ती और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिखते हैं।
2. रूखी और बेजान त्वचा - थायराइड हार्मोन की मात्रा शरीर में कम होने पर त्वचा रूखी हो जाती है और नाखून भी कमजोर हो जाते हैं।
3. बालों का अत्यधिक झड़ना - थायराइड हार्मोन कम पैदा होने की वजह से बाल झड़ने लगते हैं।
4. गर्भधारण में समस्या - शरीर में थायराइड हार्मोन कम होने के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कत आ सकती है। थायराइड हार्मोन की कमी के कारण ओव्यूलेशन की प्रक्रिया बाधित होती है। पीरियड रेगुलर होने के बावजूद भी ओव्यूलेशन ना होने के कारण गर्भधारण करने में दिक्कत हो सकती है।
महिलाओं में थायराइड के साइड इफेक्ट
थायराइड बीमारी महिलाओं को बहुत ज़्यादा प्रभावित करती है। इस बीमारी के कारण उन्हें कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे -
पीरियड्स संबंधी परेशानी - थायराइड रोग महिलाओं के पीरियड के साइकिल को नियंत्रित कर सकता है। बहुत अधिक या बहुत कम थायराइड हार्मोन उनके पीरियड्स को बहुत कम या बहुत ज्यादा या अनियमित बना सकते हैं। थायराइड की बीमारी के कारण महिलाओं के पीरियड्स कई महीनों या उससे अधिक समय के लिए रुक सकते हैं जिसे एमेनोरिया कहा जाता है। यदि उनका कमजोर इम्यून सिस्टम थायराइड रोग का कारण बनता है तो इससे उनकी ओवरी के साथ-साथ अन्य ग्रंथियां भी इससे प्रभावित हो सकती हैं। इसकी वजह से महिलाओं में मोनोपॉज भी 40 की आयु से पहले हो सकता है।
गर्भधारण में दिक्कत - जिस तरह थायराइड रोग महिलाओं के पीरियड के साइकिल को प्रभावित करता है, उसी तरह यह उनके ओव्यूलेशन को भी प्रभावित करता है जिससे उनको गर्भधारण करने में अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
गर्भावस्था के समय समस्याएं - गर्भावस्था के दौरान थायराइड रोग का होना मां और बच्चे दोनों के लिए समस्या पैदा कर सकता है। इसके कारण गर्भपात होने की आशंका भी बनी रहती है अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला को थायराइड है तो बच्चे में भी थायराइड हार्मोन की प्रॉब्लम हो सकती है। थायराइड हार्मोन की कमी से बच्चे को हृदय और मस्तिष्क से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं।
थायराइड का इलाज
मरीज की उम्र और मरीज की स्थिति के अनुसार ही थायराइड का इलाज किया जा सकता है। ऊपर बताए गए थायराइड के प्रकार के अनुसार हम इलाज के बारे में जानेंगे ।
1. हाइपोथायराइड - इसके इलाज के लिए दवा का इस्तेमाल किया जाता है। दवा के इस्तेमाल से शरीर को जरूरी हार्मोन मिलते हैं। इसमें डॉक्टर सिंथेटिक थायराइड हार्मोन टी4 दवा लेने की सलाह देते हैं जिससे शरीर में हार्मोन्स का उत्पादन शुरू हो जाता है। हाइपोथायराइड के लक्षण दिखने की अवस्था में कुछ मरीजों को यह दवा जीवन-भर भी लेनी पड़ सकती है।
2. हाइपरथायराइड - हाइपरथायराइड रोग के लक्षण और कारणों के आधार पर इसका इलाज करते हैं और इसका इलाज कुछ इस प्रकार से हो सकता है -
(i) एंटीथायराइड - डॉक्टर एंटीथायराइड दवा दे सकते हैं, जिसके इस्तेमाल से थायराइड ग्रंथि हार्मोन का उत्पादन बंद कर सकती है।
(ii) बीटा-ब्लॉकर - इसके सेवन से थायराइड हार्मोन का शरीर पर असर होना बंद हो सकता है। इसके साथ ही यह दवा हृदय गति को भी सामान्य करती हैं। इस दवा की खास बात यह है कि इसके सेवन से जरूरी थायराइड हार्मोन बनने में कोई कमी नहीं आती।
(iii) रेडियोआयोडीन - इससे थायराइड हार्मोन बनाने वाले थायराइड सेल को नष्ट किया जा सकता है लेकिन यह हाइपोथायराइड का कारण बन सकता है।
(iv) सर्जरी - सर्जरी की जरूरत तब होती है जब मरीज को कुछ निगलने या सांस लेने में तकलीफ हो। सर्जरी में थायराइड का कुछ या पूरा हिस्सा निकाल दिया जाता है।
थायराइड के घरेलू उपचार
थायराइड बीमारी ज़्यादातर महिलाओं को अपना शिकार बनाती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें अचानक से वजन या तो बढ़ जाता है या कम हो जाता है। इस रोग में महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आयुर्वेद को थायराइड को बढ़ने से रोकने के लिए बेहद उपयोगी बताया गया है। आयुर्वेद में थायराइड को जड़ से खत्म करने के उपाय मौजूद हैं। कई ऐसी गुणकारी जड़ी-बूटियां हैं जिनके इस्तेमाल से महिलाएं थायराइड का इलाज कर सकती हैं। इनमें से कई जड़ी-बूटियां तो हमारे रसोई घर में ही मौजूद होती हैं। तो आइए इन थायराइड के घरेलू उपचार और उनसे मिलने वाले फायदों के बारे में जानते हैं-
थायराइड से बचाव के उपाय
- धूम्रपान, अल्कोहल, आदि नशीले पदार्थों से बचें।
- तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें।
- पैक्ड फूड और तली भुनी चीजों का सेवन कम करें।
- सोया उत्पाद न खाएं।
- आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- नियमित व्यायाम या योग करें।
- समय-समय पर अपने वजन की जांच करते रहें यदि वजन में बदलाव नजर आए तो थायराइड टेस्ट करवाएं।
थायराइड में कैसा हो आहार
क्या खाएं -
- मूंग दाल
- ग्रीन टी
- दूध व दही
- बादाम
- मौसमी फल
क्या न खाएं -
- मैदा
- जंक फूड
- सोयाबीन
- कोल्ड ड्रिंक्स
- ब्रोकली
Namhya से खरीदें थायराइड केयर टी
यदि महिलाएं थायराइड जैसी बीमारी से अपना बचाव चाहती हैं तो वह Namhya थायराइड केयर टी का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसमें अश्वगंधा, मंडुकपर्णी, मुलेठी, शंखपुष्पी जैसे अनेकों आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां मौजूद हैं जो महिलाओं में थायराइड, और इसके कारण होने वाली पीरियड्स की अनियमितता के इलाज में मदद करती हैं।
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