एक स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ दिल का होना बहुत जरूरी है किन्तु आज के लाइफस्टाइल और अनियमित आहार के कारण हम अपने दिल का ख्याल बिलकुल भी नहीं रखते हैं और उसके प्रति लापरवाही बरतते हैं। इसी लापरवाही के कारण आज 30 से 40 साल की उम्र में ही लोगों को हृदय संबंधी समस्याएं होने लगी हैं। दिल के रोग की यह समस्या इतनी आम हो चुकी है कि हर परिवार में कोई न कोई सदस्य हृदय रोग से ग्रस्त है।
खराब लाइफस्टाइल, तनाव, व्यायाम न करना और गलत खानपान की आदतों की वजह से लोग इस दिल संबंधित गंभीर रोगों से ग्रस्त होने लगे हैं। हृदय रोगों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम अपने दिल की सेहत का ख्याल रखें तभी हम स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं। आइए आज इस लेख में हम हृदय रोग के लक्षण और उपचार, उनके प्रकार और कारणों पर नजर डालते हैं।
आइए सबसे पहले हम जानते हैं कि हृदय रोग क्या है? हृदय रोग हृदय को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों के बारे में बताता है। हृदय रोग के अंतर्गत आने वाले रोगों में रक्त वाहिका रोग, जैसे कोरोनरी धमनी रोग, हृदय के धड़कने में होने वाली समस्या और जन्मजात हृदय दोष आदि आते हैं। चिकित्सीय भाषा में हृदय रोग को कार्डियोवैस्कुलर रोग कहा जाता है।
कार्डियोवैस्कुलर रोग आमतौर पर उस स्थिति के बारे में बताता है जिनमें रक्त वाहिकाओं के संकुचित या अवरुद्ध होने की वजह से दिल का दौरा, एनजाइना, स्ट्रोक आने का खतरा रहता है। हृदय रोग की अन्य स्थितियों में आपके दिल की मांसपेशियों और धड़कनों का भी प्रभावित होना माना जाता है। स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर आप इस रोग पर काबू पा सकते हैं परंतु हृदय रोग के लक्षण और उपचार जानने से पहले जानते हैं कि हृदय रोग कितने प्रकार के होते हैं।
हृदय रोग के प्रकार - Types of Heart Diseases in Hindi
हृदय रोग कई तरह के होते हैं जो इस प्रकार हैं -
1. कोरोनरी धमनी रोग - इसे कोरोनरी रोग कहा जाता है यह बहुत आम हृदय रोग है। यह रोग धमनियों में मैल जमा होने के कारण होता है जो हृदय में रक्त के बहाव को रोककर हार्ट फेल और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है।
2. हाइपरटेंसिव हृदय रोग - यह उच्च रक्तचाप के कारण होने वाला हृदय रोग है। उच्च रक्तचाप दिल और रक्त वाहिकाओं को भारी कर देता है जिसके कारण दिल की बीमारियां होती हैं।
3. रुमेटिक हृदय रोग - यह समस्या रुमेटिक फीवर से जुड़ी है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय के वाल्व एक बीमारी की प्रक्रिया से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यह प्रक्रिया स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण गले के संक्रमण से शुरू होती है। यदि इसका इलाज न किया जाए तो गले का यह संक्रमण रुमेटिक बुखार में बदल जाता है। बार-बार यह रुमेटिक बुखार होने के कारण ही रुमेटिक हृदय रोग विकसित होता है। रुमेटिक बुखार एक सूजन की बीमारी है जो खासकर हृदय, जोड़ो, मस्तिष्क व त्वचा को जोड़ने वाले उत्तकों को प्रभावित करती है।
4. जन्मजात हृदय रोग - जन्म के समय हृदय की संरचना की खराबी के कारण होने वाले रोग को जन्मजात हृदय रोग कहते हैं। जन्मजात हृदय की खराबियां हृदय में होने वाले रक्त के प्रवाह को बदल देती है। जन्मजात हृदय की खराबी के कारण कई तरह के हृदय रोग होते हैं जिनमें मामूली से गंभीर हर प्रकार के रोग शामिल हैं।
हृदय रोग का कारण - Causes of Heart Diseases in Hindi
हृदय रोग के लक्षण और उपचार जानने से पहले हमारा इसके कारणों के बारे में जानना जरूरी है। हृदय रोग का कारण क्या है? यह सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है। तो आइए आज हम इस दिल की बीमारी के लिए जिम्मेदार कारणों के बारे में चर्चा करें।
उम्र - बढ़ती उम्र के कारण धमनियों के संकुचित होने का खतरा बढ़ जाता है और हृदय की मांसपेशियां भी कमजोर होती जाती हैं। व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ ही दिल की बीमारियों का खतरा भी अधिक हो जाता है।
लिंग - विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि महिलाओं की तुलना में यह बीमारी पुरुषों को अधिक होती है। हालांकि रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में भी इस बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है।
धूम्रपान - धूम्रपान करने वालों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि निकोटिन आपकी रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है और कार्बन मोनोऑक्साइड उनकी आंतरिक परत को नुकसान पहुंचाता है।
हाई ब्लड प्रेशर - अनियमित हाई ब्लड प्रेशर के चलते आपकी धमनिया सख्त और मोटी हो सकती हैं जिससे वाहिकाएं संकुचित होती हैं। इस कारण भी हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल - यदि रक्त में कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर हो तो एथेरोस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
शुगर - यदि आपको शुगर की समस्या है तो आपके लिए हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा- आप का बढ़ता हुआ वजन हृदय रोगों के अन्य जोखिम कारकों की स्थिति को बिगाड़ सकता है।
गलत खानपान - अगर आप अपनी डाइट में ज्यादा वसा वाली चीजें, नमक और चीनी का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके लिए हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकते हैं।
पारिवारिक मेडिकल हिस्ट्री - हृदय रोग की पारिवारिक हिस्ट्री कोरोनरी धमनी की बीमारी का खतरा बढ़ाती है। यदि माता-पिता को हुआ हो तो बच्चों में होने की आशंका रहती है।
तनाव - तनाव हमारे शरीर में कई बीमारियों को जन्म देता है। ज्यादा तनाव के कारण हमारी धमनियों को नुकसान पहुंच सकता है जिसके कारण हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है।
हृदय रोग के लक्षण - Symptom of Heart Diseases in Hindi
यदि आप दिल की बीमारियों से अपना बचाव करना चाहते हैं तो आपको समय रहते इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में जान लेना चाहिए ताकि यह बीमारी कोई गंभीर रूप धारण न कर सके। तो आइए आज हृदय रोग के लक्षण के बारे में जानते हैं-
सांस लेने में दिक्कत - सांस लेने में दिक्कत महसूस होना या कम सांस आना यह हृदय रोग होने का एक मुख्य लक्षण है।
हाथ में दर्द - दिल के मरीज को कई बार छाती और बाएं कंधे में दर्द की शिकायत होने लगती है यह दर्द धीरे-धीरे हाथों की तरफ नीचे की ओर जाने लगता है।
छाती में बैचेनी - यदि आपकी आर्टरी ब्लॉक है या फिर हार्ट अटैक है तो आपको छाती में दबाव महसूस होगा और दर्द के साथ ही खिंचाव भी आप महसूस करेंगे।
उल्टी, हार्टबर्न या पेट में दर्द - हृदय संबंधी कोई भी गंभीर समस्या से पहले कई लोगों में उल्टी, सीने में जलन, पेट में दर्द होना या फिर पाचन संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं।
ज्यादा दिनों तक कफ - अगर आपको काफी दिनों से खांसी जुकाम हो रहा है और थूक का रंग सफेद या गुलाबी रंग का हो रहा है तो यह हार्ट फेल का एक लक्षण है।
पैरों में सूजन - जब हार्ट में ब्लड का सर्कुलेशन ठीक से नहीं होता है तो पैरों, टखनों, तलवों और एड़ी में सूजन आ जाती है। यह हृदय रोग का एक लक्षण है।
जबड़े में दर्द - यदि आप हाथ, पैर और कमर दर्द के अलावा जबड़े में भी दर्द महसूस करते हैं तो यह दिल की बीमारी का एक लक्षण हो सकता है।
चक्कर आना - अचानक से चक्कर आना, सिर घूमना और बेहोश होना यह सभी लक्षण दिल के रोगों की चेतावनी है।
पसीना आना - बिना किसी शारीरिक क्रिया के यदि सामान्य से अधिक पसीना आए तो यह हृदय रोगों का एक लक्षण हो सकता है।
महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण - Symptom of Heart Diseases in Women
महिलाओं को पीरियड्स और प्रेगनेंसी आदि के दौरान तो कई समस्याओं का सामना करना पड़ता ही है साथ ही उन्हें और भी कई दूसरी गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है जैसे कि हृदय रोग। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को पहले दिल के दौरे से बचने की संभावना कम होती है क्योंकि महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं।
महिलाओं में साइलेंट दिल का दौरा पड़ने या असामान्य लक्षण प्रदर्शित होने की संभावना अधिक होती है। हम यह सोचते हैं कि दिल का दौरा अचानक पड़ता है, लेकिन ऐसा नहीं है। एक अध्ययन के मुताबिक हार्ट अटैक के लक्षण हमें एक महीने पहले से दिखना शुरू हो जाते हैं मगर यह लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि हम उन पर गौर ही नहीं करते हैं। खासकर तब जब यह महिलाओं में अलग हो। आइए महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण जानते हैं-
सीने में दर्द - हृदय रोग होने पर महिलाओं को सीने में दर्द होता है यह हृदय रोग का ही एक लक्षण है। महिलाओं को सीने में जकड़न या दबाव महसूस हो सकता है। हालांकि कुछ महिलाओं को इस सीने में होने वाले दर्द का एहसास ही नहीं होता।
सांस लेने में तकलीफ - यदि महिलाओं को सीने में दर्द के साथ-साथ सांस लेने में भी तकलीफ महसूस हो रही है तो यह हृदय रोग का संकेत हो सकता है।
पीठ दर्द - पीठ दर्द का होना भी हृदय रोग का संकेत हो सकता है। खासकर पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द गंभीर हो सकता है। इसके अलावा झुनझुनी या दबाव महसूस होना भी हृदय रोग का संकेत होता है।
अत्यधिक थकान - कुछ महिलाएं अधिक काम नहीं करती उसके बाद भी उन्हें थकान बनी रहती है। यदि ज्यादा काम न करने पर भी आपको बहुत ज्यादा थकान महसूस हो रही है तो यह हृदय रोग का एक लक्षण है।
हाथों में झनझनाहट - यदि हाथों में झनझनाहट या सुनपन महसूस होता है तो यह हृदय रोग का संकेत है। इस दौरान महिलाओं को बेचैनी महसूस हो सकती है। महिलाओं को हृदय रोग के संकेत के रूप में दोनों हाथों में झनझनाहट महसूस हो सकती है।
गले में दर्द - महिलाओं में हृदय रोगों के शुरुआती लक्षण में गले और जबड़े में दर्द भी शामिल है। जब महिलाएं गले और जबड़े में दर्द महसूस करें तो उन्हें तुरंत सचेत हो जाना चाहिए।
त्वचा का रंग बदलना - महिलाओं में हृदय रोग के शुरुआती लक्षण में त्वचा के रंग में बदलाव भी देखा जा सकता है। इस स्थिति में महिलाओं की त्वचा भूरे रंग की नजर आती है इसलिए अपनी त्वचा के रंग पर भी गौर करना चाहिए।
अपच और जलन - सीने में दर्द और जलन तो हृदय रोग का संकेत है ही इसके साथ ही यदि पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, बेचैनी महसूस हो तो यह भी हृदय रोग का लक्षण हो सकता है। महिलाओं को इस समस्या के दौरान अपच और जलन का सामना अत्यधिक करना पड़ता है।
हृदय रोग के घरेलू उपचार - Home Remedies to Prevent Heart Diseases
हृदय रोग के कारण और लक्षणों के बारे में जानने के बाद आइए जानते हैं कि हृदय रोग के घरेलू उपचार क्या है? ऐसे कई घरेलू नुस्खे हैं जिसके इस्तेमाल से हम दिल की बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं। आइए इन हृदय रोग से मुक्ति के उपाय के बारे में विस्तार से जानें -
लहसुन - शोध में पाया गया है कि लहसुन हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल और कोरोनरी हार्ट डिसीज़ के उपचार के लिए बहुत अच्छा होता है। लहसुन का इस्तेमाल खून को पतला करने के लिए किया जाता है जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या कम होती है साथ ही लहसुन के इस्तेमाल से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है। आप रोजाना दो से तीन ताजा लहसुन की कलियां खा सकते हैं। इसके अलावा आप लहसुन के सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।
लौकी - हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए क्षारीय वस्तुएं खाने की सलाह दी जाती है। इससे ब्लड में अम्लता घट जाती है और ब्लॉकेज खुल जाती है। ऐसे में लौकी बेहद फायदेमंद है जो हमारे खून में अम्लता को कम करती है। आप रोजाना लौकी के जूस का सेवन कर सकते हैं या आप इसकी सब्जी भी बनाकर खा सकते हैं।
बादाम - हृदय रोग में खाना खाने के बाद अक्सर सीने में दर्द होता है इसका कारण एसिड रिफ्लक्स या गर्ड हो सकता है। कई लोगों का मानना है कि सीने में जलन की समस्या को मुट्ठी भर बादाम या बादाम का दूध पीने से ठीक किया जा सकता है। रिसर्च में भी पाया गया कि जो लोग हर हफ्ते 150 ग्राम बादाम का सेवन करते हैं उनमें हृदय रोग होने की संभावना कम होती है इसलिए अपनी डाइट में रोजाना मुट्ठी भर बादाम शामिल करें। ध्यान रहे कि अत्यधिक मात्रा में इनका सेवन न करें क्योंकि इनमें वसा होती है जिससे आपका वजन बढ़ सकता है।
हल्दी - हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो हृदय को स्वस्थ रखती है साथ ही हमें एथेरोस्क्लेरोसिस से बचाने में भी मदद करती है। हल्दी कोलेस्ट्रॉल को भी कम करती है। आप रोजाना खाने में एक छोटी चम्मच हल्दी का इस्तेमाल जरूर करें। आप हल्दी को दूध या पानी में मिलाकर भी पी सकते हैं। पूरे दिन में आप दो से तीन बार हल्दी का सेवन जरूर करें।
अलसी - अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है जो हृदय की बीमारियों के जोखिम को कम करता है। अलसी के बीज लाल रक्त कोशिकाओं को इकट्ठा होने से रोकते हैं। आप अपने रोज के आहार में एक से दो चम्मच अलसी के बीज शामिल कर सकते हैं।
ग्रीन टी - कोरोनरी हार्ट डिजीज से बचने के लिए आप ग्रीन टी को एक बेहतर उपाय मान सकते है, साथ ही इससे आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। ग्रीन टी में अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। ग्रीन टी बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करती है और हाई बीपी को भी कंट्रोल करने में मदद करती है। हृदय रोगों से अपने बचाव के लिए आपके लिए रोजाना दो से चार कप ग्रीन टी जरूरी है।
हृदय रोग से बचाव के तरीके - How to Prevent from Heart Diseases
सही वजन बनाए रखें - हृदय रोग से बचाव के लिए स्वस्थ वजन बनाए रखना बेहद जरूरी है। अधिक वजन से हृदय रोग, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल की संभावनाएं बढ़ती है। अगर आप चाहते हैं आपका शरीर स्वस्थ रहे तो आप बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) की मदद ले सकते हैं। आपका बीएमआई 25 से अधिक है इसका मतलब है कि आपको दिल की बीमारी का खतरा है। बीएमआई के अलावा आप कमर के साइज़ से भी दिल की बीमारी के जोखिम का पता लगा सकते हैं। आपकी कमर का साइज़ 35 इंच से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
स्वस्थ आहार खाएं - हृदय को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ आहार, फल, सब्जियां, साबुत अनाज, कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट और ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त आहार का सेवन करें। प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम से कम करें क्योंकि इनमें नमक और चीनी बहुत ज्यादा होते हैं। ये दोनों ही दिल के लिए नुकसानदायक हैं।
धूम्रपान और शराब से रहें दूर - धूम्रपान और शराब का सेवन हमारे हृदय को बहुत नुकसान पहुंचाता है। यह हमारा बीपी बढ़ाता है जिसके कारण हृदय को रक्त पंप करने के लिए दुगनी मेहनत करनी पड़ती है। ये आदतें रक्त के लिए शरीर की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ले जाना कठिन बना देती हैं यदि अपने हृदय को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो जल्द से जल्द इन आदतों को छोड़ दें।
सक्रिय रहें - हृदय के स्वास्थ्य के लिए सक्रिय रहने का प्रयास करें। हर दिन कम से कम 30 मिनट की कोई भी शारीरिक गतिविधि जरूर करें जैसे दौड़ना, तैरना या तेज गति से चलना, एरोबिक व्यायाम आदि। यह हृदय को पंप करते हैं और परिसंचरण में सुधार करते हैं। इस तरह आप लंबे समय तक अपने हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं।
तनावमुक्त रहें - स्वस्थ हृदय के लिए तनाव मुक्त रहना बहुत जरूरी है इसलिए कोशिश करें कि तनाव से दूरी बनाकर रखें।
भरपूर नींद लें - स्वस्थ शरीर के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है। कम से कम 6 से 8 घंटे के लिए सोना अनिवार्य है क्योंकि सोते वक्त ही शरीर की कोशिकाएं दोबारा उत्पन्न होती हैं और खुद की मरम्मत करती हैं। भरपूर नींद की कमी रक्तचाप में वृद्धि के लिए भी एक जोखिम कारक है, इसलिए भरपूर नींद लें।
हृदय रोग में क्या खाना चाहिए? - What Should be Eaten in Heart Disease?
हृदय रोग में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए यह जानना जरूरी है कि हमें हृदय रोग से बचाव के लिए किस तरह के भोजन का सेवन करना चाहिए। तो आइए जानते हैं कि हृदय रोग में क्या खाना चाहिए।
फल और सब्जियां - फल और सब्जियां हृदय के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। फल और सब्जियों में फाइबर, विटामिन और खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। फल और सब्जी में फैट, कैलोरी, सोडियम और कोलेस्ट्रॉल कम मात्रा में होता है इसलिए फल और सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
साबुत अनाज - साबुत अनाज फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। इसमें कई अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखते हैं। इसलिए हृदय को स्वस्थ रखने के लिए साबुत अनाज का सेवन करें।
नट्स - नट्स में मोनोअनसेचुरेटेड फैट पाया जाता है जो हमारे हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित प्रणालियों के लिए बहुत फायदेमंद है। आप अपनी डाइट में रोजाना ड्राई फ्रूट को शामिल करें। ये आपको कोरोनरी बीमारी के जोखिम से भी बचाते हैं।
ग्रीन टी - रिसर्च में पाया गया कि जो लोग पूरे दिन में दो कप ग्रीन टी पीते हैं उनमें हृदय रोग की आशंका कम होती है। ग्रीन टी पीने से आपका हृदय स्वस्थ रहता है जिससे हृदय रोग की समस्या नहीं होती।
हृदय रोग में क्या नहीं खाना चाहिए - Foods to Avoid in Heart Disease
हृदय रोग में किन चीजों को खाने से फायदा होता है यह जानने के बाद यह भी जानना बेहद जरूरी है कि हमें किन चीजों से दूरी बनाकर रखना चाहिए ताकि हम अपना बचाव हृदय रोगों से कर सकें। आइए जानते हैं कि हृदय रोग में क्या नहीं खाना चाहिए।
चीनी और नमक - खाने में नमक स्वाद बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है किंतु यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। ऐसे ही चीनी भी सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है। अधिक मात्रा में सोडियम और चीनी खाने से हाई बीपी की समस्या होती है इसीलिए हृदय रोगों में चीनी और नमक का सेवन कम से कम करना चाहिए।
लाल मीट - मीट में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं किंतु आप लाल मीट की जगह मछली, चिकन, आदि का सेवन कर सकते हैं। लाल मीट में अधिक मात्रा में सेचुरेटेड फैट होता है जो शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इसलिए लाल मीट से हृदय रोगी को परहेज करना चाहिए।
ट्रांस फैट - ट्रांस फैट प्रोसेस्ड और पैकेट बंद प्रोडक्ट में पाया जाता है। खासकर उन प्रोडक्ट में जिन्हें लंबे समय तक रखा जा सकता है। ट्रांस फैट हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाता है इसलिए हृदय रोग में ट्रांस फैट का सेवन न करें।
अंडे की जर्दी - हृदय रोगी के लिए डाइट में अंडे को शामिल करना सही नहीं है क्योंकि इसमें कोलेस्ट्रॉल बहुत अधिक मात्रा में होता है। खासकर अंडे की जर्दी इसमें सेचुरेटेड फैट होता है। यदि आप अपने कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखना चाहते हैं तो अंडे की जर्दी यानी कि अंडे के बीच वाले भाग का सेवन कम मात्रा में करें।
Namhya से खरीदें हार्ट टी पाउडर
यदि आप भी दिल की बीमारियों जैसे हृदय रोग, अनियमित दिल की धड़कन, सीने में दर्द, सांस फूलना आदि जैसी परेशानियों से जूझ रहे हैं तो आप Namhya हार्ट टी पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस हार्ट टी पाउडर का मुख्य घटक अर्जुन की छाल है जो आपको हृदय संबंधी समस्याओं में फायदा पहुंचाता है।
Namhya का यह प्रोडक्ट हर्बल प्रोडक्ट है। यदि आप इस प्रोडक्ट को पाना चाहते हैं तो Namhya की वेबसाइट से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं। Namhya हार्ट टी पाउडर के इस्तेमाल से आप अपने हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं।