अस्थमा के लक्षण के साथ ही जानें इसका आयुर्वेदिक इलाज
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अस्थमा की बीमारी एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जो अगर किसी व्यक्ति को हो जाए तो यह जिंदगी भर रहती है। सच कहा जाए तो यह एक लाइलाज बीमारी है, परंतु कुछ दवाओं के साथ-साथ यदि सावधानियां बरती जाएं तो हम इस पर काबू भी पा सकते हैं लेकिन इस बीमारी से पूरी तरह छुटकारा पाना मुश्किल है। दुनियाभर में लाखों करोड़ों लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं और कई लाखों लोगों की इस बीमारी के कारण मौत भी हो जाती है। इस बीमारी में दौरे पड़ते हैं जिससे रोगी को बहुत ज्यादा तकलीफ होती है और वह दो कदम भी चल नहीं पाता। सर्दी के मौसम में तो यह बीमारी और भी जानलेवा हो जाती है। आज इस लेख में हम अस्थमा के लक्षण, अस्थमा के प्रकार और अस्थमा का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में जानेंगे।
आइए पहले जानते हैं कि यह अस्थमा क्या है? अस्थमा को दमा भी कहा जाता है। यह एक सांस की बीमारी है। जब किसी व्यक्ति की सांस की नलियों में खराबी हो या उसके फेफड़ों की नलियां पतली हो जाएं जिस कारण उसे सांस लेने में दिक्कत हो तो इसे ही दमा या अस्थमा की बीमारी कहा जाता है। इसके अलावा बलगम का अधिक बनना भी इस बीमारी का कारण है। अस्थमा में रोगी को दौरे आते हैं जिसका तुरंत इलाज सिर्फ इनहेलर से किया जा सकता है। यदि रोगी इनहेलर का इस्तेमाल कम करेंगे या छोड़ देंगे तो यह उनके लिए बहुत खतरनाक हो जाएगा क्योंकि यह बीमारी इस कारण बढ़ जाएगी और उनकी जान भी जा सकती है।
अस्थमा के प्रकार - Asthma ke Prakar
अस्थमा कई प्रकार का होता है। आइए इसके प्रकारों पर चर्चा करें-
एलर्जिक अस्थमा - एलर्जिक अस्थमा में आपको किसी चीज से एलर्जी होती है जैसे; धूल, मिट्टी, आदि। इनके संपर्क में आते ही आपको अस्थमा हो जाता है या फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही आप दमा के शिकार हो जाते हैं।
नॉन-एलर्जिक अस्थमा - इस तरह का अस्थमा किसी भी चीज की अधिकता होने के कारण होता है। जब आप बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत ज्यादा ज़ोर-ज़ोर से हंस रहे हो। आपको बहुत ज्यादा सर्दी लग रही हो या बहुत अधिक खांसी-जुखाम हो गया हो तब यह अस्थमा हो जाता है।
एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा - यह अस्थमा ज्यादा एक्सरसाइज करने या ज्यादा शारीरिक सक्रियता के कारण हो जाता है, जो लोग अपनी क्षमता से अधिक काम करने लगते हैं वह इस अस्थमा का शिकार बन जाते हैं।
कफ वेरिएंट अस्थमा - कफ भी कई बार अस्थमा होने का कारण बनता है। जब आपको लगातार कफ की शिकायत होती है या खांसी के दौरान अधिक कफ आए तो आपको अस्थमा का अटैक पड़ जाता है।
ऑक्यूपेशनल अस्थमा - यह अस्थमा का अटैक अचानक काम के दौरान पड़ जाता है। नियमित रूप से लगातार एक ही तरह का काम करना या कार्यस्थल का वातावरण जब सूट नहीं करता तो इस कारण से भी आप अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।
नाइटटाइम अस्थमा - अस्थमा का यह प्रकार ऐसा प्रकार है जो रात के समय ही होता है यानी जैसे ही रात का समय होगा आपको अस्थमा का अटैक पड़ने लगेगा।
मिमिक अस्थमा - मिमिक अस्थमा वह अस्थमा है जिसमें जब कोई स्वास्थ्य संबंधी बीमारी हो जैसे निमोनिया, कार्डियक, आदि तो ही आपको यह मिमिक अस्थमा हो सकता है। जब बहुत अधिक तबीयत खराब होती है तभी मिमिक अस्थमा होता है।
चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा - यह अस्थमा बच्चों को ही होता है। इसमें बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है, वह इस प्रकार के अस्थमा से अपने आप ही बाहर आने लगता है। यह बहुत रिस्की नहीं होता लेकिन इसका सही समय पर इलाज जरूरी है।
एडल्ट ऑनसेट अस्थमा - यह अस्थमा युवाओं में होता है। यानी अक्सर 20 वर्ष से ज्यादा उम्र के बाद ही यह अस्थमा होता है। इस प्रकार के अस्थमा के पीछे कई एलर्जिक कारण भी छुपे होते हैं जैसे इसका मुख्य कारण प्रदूषण, प्लास्टिक, ज्यादा धूल-मिट्टी और जानवरों के साथ रहना होता है।
अस्थमा के लक्षण - Asthma ke Lakshan
आइए अस्थमा के लक्षणों के बारे में जानते हैं ताकि आप इन लक्षणों की पहचान करके इस बीमारी का पता लगा सकें -
सीने में जकड़न
खांसी खासतौर पर रात में, हँसते या एक्सरसाइज करते समय
सांस लेने में तकलीफ
बेचैनी या घबराहट
बात करने में कठिनाई
छाती में दर्द
तेज-तेज सांस लेना
बार-बार इन्फेक्शन होना
थकान
अनिद्रा
अस्थमा के कारण - Asthma ke Karan
अस्थमा की बीमारी होने के कारणों में कई अलग-अलग कारक जिम्मेदार हैं। आइए अस्थमा के कारणों पर नजर डालते हैं-
जेनेटिक - अगर आपके माता पिता या भाई बहन किसी को भी अस्थमा है तो आपको भी यह बीमारी हो सकती है। इस तरह के अस्थमा को जेनेटिक कहा जाता है।
वायरल इन्फेक्शन हिस्ट्री - जिन लोगों को बचपन में रेस्पिरेटरी सिंसीटियल वायरस इन्फेक्शन (आरएसवी) जैसा गंभीर वायरल इन्फेक्शन होता है उनमें अस्थमा की बीमारी के लक्षण विकसित होने की अधिक संभावना होती है।
हाइजीन हाइपोथिसिस - इस सिद्धांत के अनुसार जब बच्चे अपने शुरुआती दिनों या सालों में पर्याप्त बैक्टीरिया के संपर्क में नहीं आते तो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अस्थमा और दूसरी एलर्जिक बीमारियों से लड़ने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हो पाती।
अस्थमा का आयुर्वेदिक इलाज - Asthma ka Ayurvedic Ilaj
अगर आप अस्थमा का परमानेंट इलाज ढूंढ रहे हैं तो आप आयुर्वेद का सहारा ले सकते हैं। आयुर्वेदिक कई गंभीर रोगों के इलाज में कारगर है। तो आइए अस्थमा रोग के लिए आयुर्वेद में क्या उपचार हैं, जानते हैं-
अदरक - अदरक एक गुणों से भरी प्रसिद्ध जड़ी-बूटी हैं जो श्वसन तंत्र को भी स्वस्थ रखने का अच्छा काम करती है। यह अस्थमा के इलाज के लिए आम घरेलू उपचार है। अदरक वायुमार्ग की मांसपेशियों को आराम देती है और कैल्शियम ग्रहण करने को नियंत्रित करती है जिससे संकुचन से राहत मिलती है और अस्थमा से भी राहत मिलती है। इसके सेवन के लिए आप एक ताजा अदरक को कद्दूकस करके गर्म पानी में डाल दें और 5 से 7 मिनट तक इसे गर्म पानी में डूबे रहने दें। फिर पानी को छान लें और इसमें शहद मिलाएं फिर इस हर्बल चाय को पीएं। आप चाहें तो अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े दिन में एक-दो बार चबाकर भी खा सकते हैं।
हल्दी - हल्दी में कई मुख्य घटक हैं जिनमें से एक करक्यूमिन होता है। यह फाइटोकेमिकल अस्थमा से राहत दिलाने वाली ऐड ऑन थेरेपी के तौर पर बहुत फायदेमंद है। यह वायुमार्ग की सूजन को कम कर सकता है। हल्दी एक बेहतरीन एंटीमाइक्रोबियल्स एजेंट भी है। हल्दी का पानी के साथ सेवन करने से अस्थमा में लाभ मिलता है।
लहसुन - क्या अस्थमा पूरी तरह से ठीक हो सकता है तो जवाब है हाँ। अगर आप अस्थमा की समस्या में लहसुन का इस्तेमाल करते हैं तो यह इस बीमारी को ठीक करने का एक निश्चित उपाय है। लहसुन आपके फेफड़ों में जमे कफ को पूरी तरह से साफ करने में मदद करता है। यहां तक कि यह अस्थमा के लक्षणों में तुरंत राहत प्रदान करता है। यह वायुमार्ग में हो रही सूजन को भी कम कर सकता है। इसके सेवनके लिए आपको लहसुन की 10-12 कलियों को दूध में उबालना है और इसका काढ़ा बनाकर पीना है। आप इस काढ़े को दिन में एक बार जरूर पीएं।
प्याज - सब्जियों का जायका बढ़ाने वाला प्याज अस्थमा के लोगों के लिए बड़ा टर्न ऑफ हो सकता है क्योंकि अस्थमा से पीड़ित लोगों को प्याज से बहुत फायदा हो सकता है। प्याज अस्थमा के मरीजों के लिए एक वरदान है। अस्थमा को जड़ से इलाज के लिए प्याज का सेवन जरूर करें। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं और यह वायुमार्ग को साफ करने में बहुत मददगार है। अपने रात के खाने के साथ कच्चे प्याज का सेवन शुरू करें और अपने रोज के आहार में प्याज को शामिल करें।
मेथी - मेथी ऐसी चीज है जो हर घर में मौजूद होती है और इसके इस्तेमाल से आप अस्थमा का सफल इलाज कर सकते हैं। अस्थमा में मददगार है मेथी क्योंकि मेथी में शरीर की अंदरूनी एलर्जी को खत्म करने के गुण मौजूद हैं। मेथी के कुछ दानों को एक गिलास पानी के साथ तब तक उबालें जब तक पानी एक तिहाई न रह जाए। अब इस पानी में शहद और अदरक का रस मिलाकर रोज सुबह शाम इसका सेवन करें। यह नुस्खा अस्थमा के सफल उपचार का तरीका है।
अस्थमा में क्या नहीं खाना चाहिए?
अस्थमा के रोगी को प्रोसेस्ड या पैक्ड फूड का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे आपकी समस्या और बढ़ सकती है और यह गंभीर रूप भी ले सकती है।
यदि आप अस्थमा रोगी हैं तो अचार का सेवन न करें। अस्थमा से जुड़ी समस्या में अचार का सेवन हानिकारक हो सकता है।
आजकल स्वाद के चक्कर में लोग ज्यादातर जंक फूड का सेवन करते हैं जिसमें पोषक तत्व न के बराबर होते हैं। अस्थमा रोगी को तो इन जंक फूड का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए नहीं तो उनकी समस्या गंभीर रूप ले सकती है।
अस्थमा रोगी को ज्यादा नमक का सेवन करने से भी बचना चाहिए।
अस्थमा के रोगियों को शराब का सेवन भी नहीं करना चाहिए। यह उनके लिए हानिकारक है।
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Ridhima Arora is an Indian entrepreneur, author, trained yoga instructor, and practicing nutritionist. She is the founder of Namhya Foods.Besides being the founder of Namhya foods, Ridhima also gives nutrition coaching in seminars to kids, NGOs, and corporates. She also works as a freelancer at Global Changemakers.
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